आदतन अपराधी अधिनियम 1952 :-:
1857 में ब्रिटिशों के अत्याचार और धर्म परिवर्तन के विरुद्ध आवाज़ उठाने वाले ब्रिटिश विद्रोही लोगों को पहले आदिवासी शब्द देकर ,उन्हें कानून बनाकर आपराधिक जातिया प्रमाणित किया गया,इसलिए आदिवासियों ने भारत की स्वतंत्रता और सनातन धर्म की रक्षा में क्या योगदान दिया,इस बात की जानकारी हमें नहीं मिलती।फ़िर इसी तथ्य को छुपाने के लिये हमारे सँविधान निर्माता ने बहुत ही चतुराई से आपराधिक जनजाति अधिनियम 1871 को 31 अगस्त 1952 को आदतन अपराधी अधिनियम 1952 बना दिया।सन 2008 में इन सभी आदतन अपराधी जातियों को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बनाने की असफ़ल कोशिश अवश्य हुई।प्रश्न ये हैं कि सन 2008 को हम ये भी मान ले कि भारतीय संसद ने पैदा हुए बच्चे को भी अपराधी मान लेने वाले ,इस काले कानून के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त कर,अपनी ग़लती अवश्य मानी हो,पर किसी ने कभी इन कानूनों की प्रतियां नहीं जलाई,लेकिन सन 1950 से 2008 तक के 58 वर्षो तक,जिनका इस कानून के कारण शोषण हुआ,उसके लिये जिम्मेदार कौन हुआ ???ब्राह्मणों पर आदिवासियों के शोषण का आरोप लगाने वाले,इसका उत्तर अवश्य दे।अनजाने में ही सही घृणा और झूठ को बढ़ावा न दे।जीत सत्य की ही होगी।
धन्यवाद :- बदला नही बदलाव चाहिए
