आपका वैमनस्य बाबा रामदेव से राजनैतिक है।और उसमें कोई भी बुराई नहीं है।आप विरोध कीजिये फिर मगर इस विरोध को नैतिक और सामाजिक न बताईये।
जैसे बाबा का बिज़नेस राष्ट्रवाद नहीं हो सकता है वैसे ही आपका विरोध कोई नैतिक और देशवासियों के भले का नहीं है। ये भी पूरी से विशुद्ध राजनैतिक है।
ये तर्क मुझे समझ नहीं आ रहा है कि बाबा रामदेव को व्यपारी नहीं होना चाहिए और सिर्फ़ योग सिखाना चाहिए.. ऐसा क्यूं?
रामदेव को क्यूं कोई हक़ नहीं है व्यापार करने का? वो बनिया है या लाला है तो इसमें आख़िर हमारा क्या नुकसान है? और उसने करोड़ों और अरबों का व्यापार खड़ा किया है तो आपके हिसाब से उसे ऐसा क्यूं नहीं करना चाहिए था?
मैं देख रहा हूँ कि लोग बड़ी घृणा से उसे बनिया और लाला बोलते हैं.. उसके कारोबार के बारे में इतनी घृणा से बात करते हैं जैसे उसने कोई चोरी कर के अपना कारोबार बनाया है.. पतंजलि के बड़े बड़े प्लांट्स और कैम्पस को बड़ी घृणा से दिखाया जाता है जैसे वो सब चोरी कर के बनाया गया है.. क्या लॉजिक है आपके पास इस घृणा का?
ये मैक्स, मेदांता, फोर्टिस जैसे बड़े बड़े ब्रांड जिन्होंने अरबों की प्रॉपर्टी बना रखी है और मनुष्य के स्वास्थ्य को खून चूसने वाला व्यापार बना रखा है, इनके लिए घृणा छोड़िये कभी आप विरोध की बातें भी नहीं करते हैं जबकि आप अच्छी तरह जानते हैं कि जो मर्ज़ आपका सरकारी अस्पतालों में बीस हज़ार में ठीक हो जाता है उसी के लिये आपको इन अस्पतालों में लाखों देने होते हैं.. और उसके बावजूद भी कभी आपने डॉक्टर त्रेहान या उन जैसों को घृणा से लाला नहीं बोला।
आप कभी ये नहीं कहते हैं कि डॉक्टर त्रेहान को अपना सारा जीवन गरीब लोगों की हार्ट सर्जरी में लगाना चाहिए था और मेदांता जैसे हॉस्पिटल बना के अरबों खरबों रुपये नहीं कमाने चाहिए थे। ऐसा क्यूं नहीं कहते हैं आप? आपके हिसाब से सिर्फ़ रामदेव को ही लोगों को योग सिखाना चाहिए था व्यापार नहीं करना चाहिए था।
क्यूं?
व्यापार करने का जितना अधिकार डॉक्टर त्रेहान को है उतना ही बाबा रामदेव को और उतना ही किसी भी अन्य को.. इस समय लाखों लोग बाबा के कारोबार से अपनी रोज़ी रोटी कमा रहे हैं बहुतों को रोज़गार मिला है उस से और जाने कितने परिवार चल रहे हैं
बाबा रामदेव की मदारीगिरी अपनी जगह है। उनके बेवकूफ़ी भरे बयान अपनी जगह हैं।उन बातों के लिए आप उन्हें घेर सकते हैं।मगर जैसा आप उनके व्यापार और हर एक चीज़ को घृणा की दृष्टि से देखते हैं, वो साफ़ साफ़ आपकी एकतरफ़ा राजनैतिक नफ़रत है और कुछ नहीं।
ब्यूरो चीफ
दिनेश सिंह
आजमगढ़