:-: आरक्षण :-:
जब रामायण और महाभारत, पुराण आदि सभी mythology यानि झूठ या काल्पनिक बातें हैं।तब इनमें लिखी सारी बातें भी झूठी ही होँगी, तो फ़िर आरक्षण नियम बनाते समय किस आधार पर यह तय किया गया कि ब्राह्मणों ने 5000 वर्षों तक सबका शोषण किया ??अगर रामायण या पुराण में लिखी सभी कहानियां सत्य हैं, तो उन्हें mythology क्यों कहा जाता हैं,और अगर ये सब झूठ हैं, तो आरक्षण जैसे महत्वपूर्ण कानून के लिये, झूठी कहानियों को आधार क्यों बनाया गया??मान भी लिया कि 1860 से पहले मनुस्मृति और ब्राह्मणों का शासन था,लेकिन जब 1860 से लेकर आजतक ब्रिटिश सँविधान लागू हैं,तो 1860 से लेकर अभी तक ,तो लोगों के मानसिक, सामाजिक शोषण के लिये, वहीं जिम्मेदार होना चाहिये, क्योंकि उसमें ही बने सभी नियम प्रारूपों के अनुसार ही देश की सभी व्यवस्थाएं चल रहीं हैं।यह सारा मानसिक षड्यंत्र लोगों को आपस में लड़वाने और अधर्मी बनाने के लिये किया गया।या तो सरकारें आरक्षण की समीक्षा करें, या फ़िर इन बातों को वैज्ञानिक नियमों के आधार पर प्रमाणित करें, कि कैसे,क्यों और किसका शोषण किया गया?? किस वैज्ञानिक नियमानुसार आरक्षण के माध्यम से कैसे मानसिक स्तर को ऊपर उठाया जा सकता हैं ?? जीत सत्य की ही होगी।
धन्यवाद :- बदला नहीं बदलाव चाहिए