:-: इतिहासविद :-:
1860 के बाद आए इतिहासविदों ने पीढ़ियों को कुछ इस प्रकार भृमित किया जैसे वो लिखेंगे आज आदिवासी, पिछड़े,शोषित ग्रामीणों ने पहली बार अपने हाथ में मोबाईल देखा,नहीं तो 5000 वर्षो से मनुवादी ब्राह्मणों के शासन में उन्हें अपना मोबाईल लेने के भी स्वत्रंतता नहीं थी या मनुस्मृति ने उन्हें हज़ारो वर्षो तक मोबाईल के उपयोग करने से वंचित रखा,वो तो 1950 में संविधान आया ,तो उन्हें मोबाईल खरीदने का अधिकार मिला,जबकि दुनिया का पहला मोबाईल ही 1973 में बना। उक्त प्रकार के शब्दों के भृमजाल में उलझाकर, लाखों वर्षो से साथ रह रहे,सनातनियों के मन में आपसी घृणा भाव के बीज बोए गए, जिनका दुष्प्रभाव ,आज हम सबके सामने हैं। सत्ता स्थापित करने, इतिहास में परिवर्तन करने ,लोगों को मुक्ति मार्ग से भटकाने का घृणित कार्य विश्व विद्यालयों ,तंत्र बनाकर,प्रयोजित रूप से आयोजित किया जाता हैं, जैसा सामान्य अर्थों में ” दृश्यम ” नामक फ़िल्म की कहानी में होता हैं।असत्य का सत्य इसी प्रकार से बनता हैं।अंत में विजय सत्य की ही होगी।
धन्यवाद :- बदला नहीं बदलाव चाहिए