:-: कच्चे मकान :-:
पक्के मकानों में हमारें शरीर से निकलने वाली ऊर्जा टकराकर ,वापिस हमारें पास आ जाती हैं।अगर हमारें शरीर से नकारात्मक ऊर्जा निकलेगी, तो दीवारों से टकराकर नकरात्मक ऊर्जा ही हम तक पहुँचेगी और सकारात्मक ऊर्जा हुई ,तो सकारात्मक ऊर्जा ही हम तक पहुँचेगी, लेकिन कच्चे मकानों में जो चूने या गोबर से लीपे पोते जाते थे,में ऊर्जा को सोखने की क्षमता होती हैं, जिसके कारण हमें कच्चे घरों में रहने पर सुख शांति का अनुभव होता हैं ।
कच्चे मकानों को तोड़कर उनके स्थान पर पक्के मकान बनाना आधुनिकता नहीं, पिछड़ापन हैं ,इस बात को आधुनिक विज्ञान व पश्चिमी समाज भी समझने लगा हैं ,इसलिए हमारें खेतों में घर बनाकर सात्विक व जैविक जीवनशैली को form house culture बोलकर प्रचारित किया जा रहा हैं और वर्तमान की पीढ़ी शहरों की भागदौड़ भरे जीवन से परेशान होकर,पुनः नये नामों से ही सही ,लेकिन सनातन ग्रामीण जीवनशैली की ओर लौट रहे हैं।विजय सत्य की ही होगी।
धन्यवाद :- बदला नहीं बदलाव चाहिए