कन्यादान का वास्तविक अर्थ -:
” समाज को यह समझने की जरूरत है कि कन्यादान का मतलब संपत्ति दान नही होता और…
न ही ” लड़की ” का दान,”
” कन्यादान ” का मतलब ” गोत्र दान ” होता है…
कन्या ” पिता ” का गोत्र छोड़कर ” वर ” के गोत्र में प्रवेश करती है,
पिता कन्या को अपने गोत्र से विदा करता है और
उस गोत्र को अग्नि देव को दान कर देता है…
और वर अग्नि देव को साक्षी मानकर कन्या को अपना गोत्र प्रदान करता है,अपने गोत्र में स्वीकार करता है इसे ” कन्यादान कहते हैं,
निवेदन कृपया अधिक लोगो तक जानकारी साझा करे व समाज मे भारतीय संस्कृति व परम्पराओ को लेकर जो भ्रांति उत्पन्न है उसे दूर करने में अपना योगदान दे,भारतीय संस्कृति की रक्षा हेतु निरंतर वर्तमान व भावी पीढ़ी को जागरूक करते रहे देश की तरक्की तभी संभव है जब संस्कृति जीवित हो,
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