:-: कमंडल और श्राप :-:
सनातन संस्कृति में ब्राह्मण अपने हाथ में कमंडल रखते थे और उसमें जल होता था,और जिसे दंड देते थे,उस पर जल छिड़क देते थे,जिसे श्राप कहा जाता था।पश्चिमी संस्कृति से प्रेरित मानसिक ग़ुलाम बुद्धिजीवियों ने इस परंपरा को पाखंड और अंधविश्वास बताया।उसके स्थान पर ब्राह्मण यानि प्रशासनिक पद पर बैठे लोग जैसे विधानसभा अध्यक्ष ,आदि के साथ आजकल अधिकार दंड होता हैं, जिसे उठाने का अधिकार केवल पुरुष को दिया गया हैं और हमें पढ़ाया गया कि संविधान महिला पुरूष को समानता का अधिकार देता हैं।अब आज अगर यह अधिकार महिलाओं को भी दिया जाए,तो भी 70 वर्षो तक तो महिलाओं के साथ भेदभाव हुआ न। यह संवैधानिक व्यवस्था हैं और भारत को ब्रिटिश यानि पश्चिमी विचारधारा वाला देश बनाने लागू की गई हैं क्योंकि पश्चिमी संस्कृति के सभी धर्मगुरु , अपने साथ अधिकार दंड रखते हैं।इस बात को सभी माननीय बहुत अच्छे से जानते हैं, लेकिन उच्च पदों पर बैठे यह सभी लोग देश व धर्म पर, पश्चिमी सभ्यता थोपने में लगें हैं ,अब वह लोग ऐसा क्यों कर रहें हैं, यह तो वहीं जाने।अगर कमंडल लेकर साथ चलना पाखंड था तो,अधिकार दंड लेकर साथ चलने के पीछे कौन सा वैज्ञानिक रहस्य छुपा हुआ हैं, इस बात की जानकारी इन माननीयों से मांगिये,अपने आप सच्चाई सामने आ जाएगी। अगर वो अधिकार दंड रखने के पीछे का वैज्ञानिक कारण न बताएं और इसे केवल पंरपरा बोलकर गोल मोल बातें करें,तो हाथ में कमंडल रखना भी परंपरा थी,फ़िर उसका उपहास क्यों ??? सनातन धर्म की पुनर्स्थापना के लिए तैयार रहें, जिसके लिए हमारें पूर्वजों ने बलिदान दिया।विजय सत्य की ही होगी।
धन्यवाद :- बदला नहीं बदलाव चाहिए