:-: किन्नर :-:
प्रजापति कर्दम के पुत्र इल और उनके सैनिक भगवान शिव व पार्वती की अर्धनारीश्वर लीला का साक्षी होने के कारण उन्हें एक माह महिला किन्नर इला और एक माह पुरुष किन्नर इल बनने का वरदान मिला।आगे चलकर चंद्रमा के पुत्र महात्मा बुध ने किन्नरों के लिये नियम बनाया कि किन्नर पुरुष,किन्नर स्त्री से विवाह कर,सुखी वैवाहिक जीवन जी सकते हैं।तब से लेकर 19 वी सदी तक हमारे देश में किन्नरों को सम्पति,बराबरी और सम्मान का अधिकार प्राप्त था ,लेकिन सर्वप्रथम ब्रिटिशों ने और फ़िर उसी कानून को 1950 में हमारे देश के कानून में शामिल करके ,किन्नरों के सभी अधिकार छीन लिए गए,जिन्हें 2019 में सँविधान संशोधन करके बदला गया,लेकिन 19 वी सदी से 2019 तक किन्नरों के साथ हुए,आर्थिक,सामाजिक,मानसिक शोषण के लिए कौन जिम्मेदार हुआ??सनातन धर्म में किन्नर भी 16 वर्ष की आयु के बाद,अपनी स्वेच्छा से अपने समान गुण धर्म वाले स्त्री पुरुष किन्नर से विवाह करके व बच्चा गोद लेकर,मातापिता भी बन सकते हैं।महाभारत काल में शिखंडी किन्नर का पात्र यह प्रमाणित करता हैं कि सनातन में किन्नरों को स्त्री और पुरुषों के समान ही सेना और राजनीति में जाने का अधिकार प्राप्त था,मुग़लकाल तक किन्नर,अदालतों में जज बनने का कार्य भी करते थे।
धन्यवाद :- बदला नहीं बदलाव चाहिए
