“मेरा विचार -असहमति का अधिकार”
केजरीवाल क्या अदालतों का दामाद है –
अदालतों के निशाने पर मोदी है –
जबकि स्वास्थ्य राज्यों का विषय है –
अदालतें कुछ भी आदेश देने के लिए सक्षम
हैं मगर इतना जरूर ध्यान रहना चाहिए कि
कानून वयवस्था और स्वास्थ्य सेवा राज्यों का
विषय है —
कल सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र को सख्त आदेश
देते हुए कहा कि आज आधी रात तक दिल्ली
को ऑक्सीजन सप्लाई हो जानी चाहिए –
हाई कोर्ट ने शनिवार तक सप्लाई करने के
आदेश दिए थे और कहा था कि ऐसा नहीं
हुआ तो अवमानना कार्रवाई के लिए तैयार
रहना –
जबकि ना सुप्रीम कोर्ट ने और ना हाई कोर्ट
ने इस बारे में आज तक जानने की कोशिश
नहीं की, कि दिल्ली को जो ऑक्सीजन मिल
रही है, उसका वितरण दिल्ली की सरकार
कैसे कर रही है –ये बात आज तक रिपोर्ट
नहीं हुई —
कल तो हद हो गई जब दिल्ली सरकार
ने हाई कोर्ट को बताया कि उन्होंने केंद्र
सरकार को पत्र लिखा है गैस सिलिंडरों
को लाने के लिए टैंकरों का प्रबंध किया
जाये —
इस पर जस्टिस सांघी की बेंच ने दिल्ली
सरकार को कितना सुन्दर प्रशंशा पत्र दे
दिया –उन्होंने कहा –
“ऐसे में ये कहना गलत होगा कि उन्होंने
कोई प्रयास नहीं किया”
यानि दिल्ली सरकार के टैंकरों के लिए
केंद्र के पत्र लिखने को भी बहुत बड़ा
प्रयास मान रहा है कोर्ट जबकि केंद्र
द्वारा सभी कदम उठाने पर भी केंद्र
की निंदा की जा रही है –
आज का एक और नज़ारा देखिये -कल
शाम मनीष सिसोदिया ने रक्षा मंत्री
राजनाथ सिंह को पत्र लिख कर कहा
कि दिल्ली में ऑक्सीजन सप्लाई के लिए
सेना की मदद ली जाये —
आज ही दिल्ली सरकार और न्याय मित्रों
ने ये मसला जस्टिस सांघी के सामने रख
दिया और कोर्ट ने तुरंत केंद्र सरकार को
नोटिस जारी कर पूछा कि सिसोदिया के
पत्र पर रक्षामंत्री ने क्या निर्देश दिए —
अगर दिल्ली को ये सुविधा दी जाएगी तो
फिर सभी राज्य भी यही मांग करेंगे –
फिर क्या हर राज्य में ऑक्सीजन सप्लाई
करने के लिए सेना लगाई जाएगी –इस
नज़रिये से तो देश भर में अफरा तफरी
हो सकती है —
मतलब साफ़ है दिल्ली सरकार बस एक
पत्र लिख देगी, खुद कुछ काम नहीं करना
और सारी जिम्मेदारी केंद्र पर –ये क्या हो
रहा है, समझ से परे है –आखिर क्यों
अदालतें केजरीवाल से कुछ पूछने की
जरूरत नहीं समझती —
जिस तरह सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट
दिल्ली के बारे में ही फोकस कर रहे
हैं, उससे लगता है ऑक्सीजन की
समस्या केवल दिल्ली में है –दूसरे
राज्यों की ऑक्सीजन काट कर दिल्ली
को दी जाएगी तो उन राज्यों का क्या
होगा —
ASG तुषार मेहता ने बहुत मिन्नत की
अदालत से कि अवमानना की कार्रवाई
के आदेश वापस ले लीजिये क्यूंकि ये
आदेश अधिकारियों का मनोबल गिराने
वाला है जबकि वो मेहनत से काम कर
रहे हैं —
मगर अदालत केंद्र की कुछ सुनने तो
तैयार नहीं थी –वो ये ही फैसला भी
नहीं कर पा रहे कि टैंकरों का प्रबंध
करना किसकी जिम्मेदारी है -अगर
वो भी केंद्र को करना है तो फिर
दिल्ली सरकार किसलिए बैठी है —
ये साबित नहीं करता क्या कि अदालत
केंद्र के खिलाफ एक सोच बना कर
चल रही है -ये नजरिया सही नहीं है –
इससे अदालत के हाथों तो केंद्र
सरकार जलील हो ही रही हैं, साथ
में केजरीवाल को भी केंद्र को जलील
करने और टकराने के लिए शक्ति
मिल रही है –उसे लगता है कोर्ट
उसके साथ खड़ी है —