हर कोई अधिकार की बात कर रहा है, लेकिन कोई कर्तव्य की बात नहीं करता। हम अपने कर्तव्य का पालन करें, उसका प्रतिफल नहीं देखें। जीवन की खूबसूरती ये नहीं कि हम कितने खुश हैं, अपितु ये है कि हमसे कितने लोग खुश हैं।
माना कि हम सही हैं मगर पारिवारिक शांति बनाए रखने के लिए बेवजह सुन लेना भी कोई जुर्म नहीं है, बजाय इसके कि स्वयं को सही साबित करने के चक्कर में पूरे परिवार को ही अशांत बनाकर रख दिया जाए। अपनों को हराकर हम कभी नहीं जीत सकते, अपनों से हारकर ही हम उन्हें जीत सकते हैं। जो टूटे को बनाना और रूठे को मनाना जानता है, वही समझदार है।
झूठ से बचने का प्रयास करें और प्रयास करें उस सत्य से भी बचने का, जो किसी के लिए पीड़ा का कारण बनता है। जो सत्य किसी के लिए लज्जा और किसी के लिए आत्मग्लानि का कारण बनें, वह सत्य भी शुभ नहीं होता।
हमारे समझने और स्वीकार करने भर की देर है, बाकी सच्चाई तो यही है कि चाहे हम कितने ही बलवान, सामर्थ्यवान एवं संपत्तिवान ही क्यों न हों, मगर विपत्ति काल में उस प्रभु के सिवा कोई हमारा सहायक, कोई हमें अभय प्रदान करने वाला नहीं होता।
अन्न, धन, ऐश्वर्य, वैभव, पद, प्रतिष्ठा, मान, सम्मान, बल, बुद्धि भले ही जीवन में यह सब हासिल हो, लेकिन यदि सुसंग न हो, तो सब व्यर्थ है।
🙏 !! जय श्रीकृष्ण !! 🙏