क्या पॉलिटिक्स चल रहा है देश और दुनिया में देखिए, विश्व के बडे बडे फार्मा माफिया और चीन है हमारी तबाही के पीछे, और उनको साथ दे रहे है यहां बैठे उनके कोंग्रेसी, वामपंथी और कुछ पत्रकारिता की खाल में प्रोपेगैंडा चलाने वाले एजेंट।
ये जो अभी कोरोना की दूसरी वेव फैली हुई है वो असल में जानबूझकर फैलाई गई है।
हमारी स्वदेशी वैक्सीन कोवाक्सिन ने विश्व में अपना दबदबा बनाया है, विश्व के फार्मा माफिया ओं की नींव हिलाकर रख दी है।
विश्व में हंमेशा से पश्चिम के देशों का फार्मा और हथियार उद्योग पर एकाधिकार था। वो अपने बिजनेस के लिए मानवता के दुश्मन बनकर युद्ध और बीमारियां फैलाकर कमाते थे।
मोदीने उनके एकाधिकार पर सेंध मारी है और मानव कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया है इसलिए वो तिलमिलाए हुए है।
हमारी कोवाक्सिन का परचम दुनिया में लहराया है। भारत खुद एक बडा बाज़ार है और विश्व का बाजार भी सर करने जा रहा है ये माफियाओं को हजम नही हो रहा।
और चीन को जो मौका चाहिए था मिल गया। उसने इन सबका उपयोग करके भारत को परास्त करने के लिए खेल शुरु किया है। उस खेल में शामिल हुए है फार्मा माफिया, कोंग्रेस शासित राज्य , राहुल, प्रियंका , सोनिया, वामपंथी , कुछ पत्रकार, कुछ सोशियल मिडिया इन्फ्ल्युएन्सर।
भारत पर फाइजर खरीदने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।
विदेशी वैक्सीन फाइजर के ट्रायल युरोप में हुए थे, जहां के लोगों को वैक्सीन देना हो उन पर भी ट्रायल जरुरी थे।जब मोदी सरकार ने यहां ट्रायल करने की शर्त रखी तो वो भाग खडे हुए। उस वैक्सीन के लिए टेम्परेचर मेइन्टेन करने में भी बहुत खर्च हो सकता था। फाइजर के साइड इफेक्ट्स की भी जिम्मेदारी लेने को कंपनी तैयार नही थी तो फिर क्यूं हम वह वैक्सीन खरीदे?🤔 जबकि हमारी कोवाक्सिन के लिए तो व्हाइट हाउस के मुख्य चिकित्सा सलाहकार एवं अमेरिका के शीर्ष महामारी रोग विशेषज्ञ डॉ एंथनी फाउची ने कहा, ‘कोवैक्सीन 617 प्रकार के कोविड को भी बेअसर करने वाला पाया गया है।
तो हम क्यूं हमारी वैक्सीन छोड़कर विदेशी वैक्सीन खरीदे?🤔
देश में क्यूं फाइजर और मॉडर्न वगैरह विदेशी वैक्सीन के लिए प्रोपेगेंडा चलाया जा रहा है?😲
फाइजर की बिक्री के लिए भारत में कोरोना का स्ट्रेन जानबूझकर फैलाया गया, उसकी शुरुआत किसान आंदोलन में हुई। दिल्ली, पंजाब, छत्तीसगढ, महाराष्ट्र वगैरह से होते हुए पूरे देश में चीन की मदद से चीनी वायरस स्प्रेड किया गया।
कोंग्रेस शासित राज्यों ने कोवाक्सिन और कोविशिल्ड का विरोध किया।
राहुल गांधी ने ट्विट करके फाइजर की वकालत की।
बाजार से दवाईयां गायब करके, कालाबाजार करके लोगों को परेशान किया जा रहा है।
कोवाक्सिन और कोविशिल्ड का अपप्रचार किया जाता है।
1500 से 2000 तक की विदेशी वैक्सीन का प्रचार और 400 से 600 तक की स्वदेशी वैक्सीन को महंगा बताया जा रहा है!!
चेतन भगत और बरखा जैसे लोग फाइजर की वकालत करते है!
भारत में कोरोना से हो रही मौतों को बढा चढाकर अपने ही देश में स्थित फाइजर के एजेंट्स द्वारा वैश्विक स्तर पर लेख लिखकर निंदा की जा रही है! लाशें दिखाकर प्रोपेगेंडा चला रहे है!
भारत पर दबाव बनाने के लिए वैक्सीन का रो मटीरियल देने से भी मना किया गया था।
138 करोड की जनसंख्या वाले देश में 2 लाख मौतें हुई है जबकि जनसंख्या के प्रमाण में दूसरे देशों में 5 गुना अधिक मौतें हुई है फिर भी विश्व के और देश के मैग्जीन और समाचार पत्रों में ऐसा दिखाया जा रहा है जैसे भारत में ही सबसे अधिक मौतें हो रही है, और भारत सरकार को बदनाम किया जा रहा है।
बहुत बहुत साजिशें चल रही है देश को बर्बाद करने के लिए। और इन सबमें चीन मजे ले रहा है जिसने ये कोविड स्ट्रेन फैलाकर मानवता को शर्मसार किया है। चीन का ग्लोबल टाइम्स रोज भारत के बारे में उलझुलुल बातें लिखता है।
हमें हमारी सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कोरोना को, चीन को और विदेशी फार्मा माफिया ओं मात देनी होगी।
जय हिंद।
