एक जिज्ञासा -: मानस के आधार पर इतना बताओ ना कि….
चरण और शरण में क्या फर्क है….??
चरण स्थूल होते है … यद्यपि गुरु और ठाकुर जी के चरण स्थूल भी नहीं है लेकिन चरण में अपना पग स्थूल है…, भौतिक है…. और
शरण…;
चरण – ये शरीर मय है और शरण – ये मनोमय है…!!
किसी के चरणार्विंद को अपने हाथ से छुआ तो चरण आपके हाथ ने छुआ है…. लेकिन मन से दूर बैठे बैठे आप किसी की शरणागति कर सकते हैं… चरण छूने को ना भी मिले।
शरणागति मनोमय है…; चरण तनोमय है , बहुधा ये स्थूल है….!!
यद्यपि गुरु के चरण , परमात्मा के चरण, तो क्या नहीं है साहब…!! उसकी तो बात ही बिलग है।
मीरा तो एक ही कहती है कि.. मुझे कोई लटक नहीं लगी…;
मुझे लागी लटक हरि चरणन की….!!
शरणागति मन से होती है , चरण तो स्थूल रूप में भी छू सकते है … यद्यपि वो स्थूल नहीं है……!!
मानससमाधि दिन५
गुरुकी पादुकाघर मेंहैतोये ना_करें –
- जिसके पास गुरु की पादुका है … उसके घर में किसी की ईर्ष्या नहीं होनी चाहिए कृपया ।
- जिसके घर में पादुका है …उसके घर में निंदा नहीं होनी चाहिए।
- जिसके घर में गुरु की पादुका है …उस घर में किसी से द्वेष नहीं होना चाहिये।
कठिन है .. मैं समझता हूं , हम संसारी के लिए कठिन है।
मैंने इस सत्यमूर्ति को ,प्रेममूर्ति को , करूणामूर्ति को बहुत देखा है, बहुत समझने की कोशिश की है।
मैंने कई बार कहा कि .. बिलकुल मौन रहना , चूप रहना ..
कभी किसी की इधर उधर की बातें ना करना।
हरिनाम , हरिकथा , सब कुछ सिर्फ हरि के लिए “#हरिमय”।
- याद रखें मेरे भाई बहन … आज गुरु पूर्णिमा है तो विशेष मुझे … स्वाभाविक प्रेरणा होती है।
- हम और आप किसी बुद्धपुरुष की पादुका ..
मैं आपके साथ ही रहना चाहता हूं क्योंकि मैं हूं। - जब पादुका हम हमारे घर में रखते है तब समझना घर के मालिक आप नहीं है … #पादुका है।
भले ही दस्तावेज आपके नाम का हो , आपके वंशिय परंपरा का हो लेकिन जब पादुका हमारे भवन में आ जाये तो पूरे भवन का मालिक #पादुका_जी हो जाती है।
फिर उसकी आज्ञा चलें।
ब्यूरो चीफ
विशाल गोयल
ग्वालियर (म0प्र0)