आओ किसी का यूँही, इंतजार करते हैं..!
चाय बनाकर फिर, कोई बात करते हैं..!!
उम्र पचास के पार, हो गई हमारी..!
बुढ़ापे का, इस्तक़बाल करते है..!!
कौन आएगा अब, हमको देखने यहां..!
एक दूसरे की, देखभाल करते है..!!
बच्चे हमारी पहुंच से, अब दूर हो गए..!
आओ फिर से दोस्तो को, कॉल करते हैं..!!
जिंदगी जो बीत गई, सो बीत गई..!
बाकी बची में फिर से, प्यार करते हैं..!!
ईश्वर ने जो भी दिया, लाजवाब दिया..!
चलो शुक्रिया उसका, बार बार करते हैं..!!
सभी का हाल यही है, इस जमाने में..!
ग़ज़ल ये सबके, नाम करते हैं,
आओ चाय बनाकर फिर ,
कोई बात करते हैं।
ब्यूरो चीफ
गीता शुक्ल
लखनऊ