टीन का चश्मा पहने है??!!जब भी किसी पढ़े लिखे सम्पन्न ब्राम्हण,ठाकुर,सामाजिक हैसियत में सम्रद्धि समाज के लोगो से मिलता हूँ!!तो उनकी एक ही विचारधारा होती है??आये हो तो हाल चाल कहो?धंधे की बात करो??राजनीति पर एक शब्द भी बात हुवी तो फटाक से भाई की ट्यून चेंज हो जाती है??मुँह लाल करके गुस्से में स्पस्ट बोलेंगे कि भाई राजनीति की वात मत ही करो??काम की वात हो तो वोलो या अपना सुनावो??राजनीति के नाम पर थोड़ी बहुत गालियाँ निकाल कर बात खत्म हो जाती है??:–जबकि सच्चाई ये है कि चाहे आप प्राइवेट नॉकरी,सरकारी नॉकरी,खुद की दुकान धंधा,मार्केटिंग,रोजगारी,वेरोजगारी, दलाली,जो भी करते हो वो सीधे सीधे राजनीति से ही जुड़ी होती है?? सभी राजनीतिक पार्टियों का भविष्य ब्राम्हण,ठाकुर सवर्ण वँशो के हाथ मे ही है?? जबकि कटु सच्चाई यह है कि सवर्णों की गर्दन बिना काटे कोई भी पार्टी दलित और पिछड़ों को खुश नहीं कर सकती, दलित खुश नहीं तो सारा खेल ही खत्म, इसी सिद्धांत पर सारी पार्टियां काम कर रही, अभी तो सवर्ण समाज में सभी पार्टियों के खिलाफ बदले की भावना घर कर रही हैं?? आप टीन का चश्मा पहन सकते हो?तेली के बैल की तरह आँख पर पट्टी बंधवा कर सारे दिन आपको एक ही अपने निजी फायदे उद्देश्य के लिये घुमाया जा सकता है?? आप सभी को देश की सारी पार्टियों ने इतना अपमानित करके रखा है, जन्म से लेकर मृत्यु तक कदम कदम पर भेदभाव, पक्षपात, केवल शिक्षा और नौकरी में ही नहीं, बल्कि प्रमोशन में आरक्षण के कारण 12 वर्ष तक के जूनियर दलित अधिकारी सीनियर सवर्ण अधिकारियों के अफसर बन चुके हैं,

जिसने उंगली पकड़ के चलना सिखाया वो व्यक्ति जूनियर के आदेश का पालन करेगा? एक कहावत है, बिना कारण उल्टी गंगा बहाना, और तो और ठेकेदारी में आरक्षण लागू कर दिया, सारे मन्दिरों में आरक्षण करके पुजारी बदल डाले, मैं आपकी तरह टीन का चश्मा नहीं पहन सकता, जिसमें सिर्फ अपना स्वार्थ दिखता है, समाज अपमानित हो तो होता रहे। आप जो भी हैं, मेरा आपसे परिचय नहीं, किन्तु इतना जरूर कहूंगा कि ईश्वर ने आपको दुनियां में टीन का चश्मा पहनने के लिए नहीं भेजा था, अभी भी वक्त है, ये राजनीतिक पार्टियों की जीत हार का ठेका लेना बन्द कर सिर्फ सवर्ण समाज की इज्जत किस कार्य से बच पाएगी उसमें दिमाग लगाओ, इससे होगा क्या कि जब आप ऊपर जाकर प्रभु से मिलोगे, तो उनके सामने आपको नीचा नहीं देखना पड़ेगा और कोई दन्ड भी नहीं दिया जाएगा, वरना केंसर आदि तो पहले से ही है, अब कोरोना आया है अत्याचारियों के लिए, कितना कमाओगे, 100 करोड़, 200 करोड़, आपकी सांस बन्द होने के बाद उसकी क्या वेल्यू रहेगी,हम तो यही सोचते हैं जो प्रभु की आज्ञा नहीं मानेगा इंसानों से जानवर सरीखा व्यवहार करेगा, जल्दी जाएगा। मेरा काम सही रास्ता बताना था, मय सबूत के बता दिया!! अब आप जानो और आपके द्वारा किए गए कर्म। मेरा कोई स्वार्थ नहीं, इसलिए मैं उपदेशक नहीं??!!✍️✍️ जय हिंद जय भारत भूमि