:-:दहेज प्रताड़ना कानून :-:
सन 1950 से देश में दहेज़ प्रताड़ना कानून,षड्यंत्र के अनुसार लागू किया गया,जिसके कारण परिवार और समाज बिखर जाएं।अब सुप्रीम कोर्ट या हाइकोर्ट या संसद ,यह कहकर की इस कानून का महिलाएं दुरुपयोग करती हैं, ऐसा कहकर ब्रिटिश भारतीय कानून व्यवस्था का बचाव कर रही हैं।कानून निर्माता यह जानते थे कि इस कानून से परिवार टूट जाएंगे।अब भूतकाल में जाकर इस कानून को बदल तो नहीं सकते,लेकिन सरकार की यह नैतिक जिम्मेदारी बनती हैं कि 70 वर्षो में जिन करोड़ो लोगों को इस कानून के कारण आर्थिक ,सामाजिक,मानसिक और पारिवारिक प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा और देश की परिवारिक संस्कृति नष्ट हो गई, उस महापुरुष की मूर्ति ही चौराहें से हटा लें।इन लोगों ने सबसे पहले कानून बनाये और फ़िर न्यायतंत्र और फिल्मों के माध्यम से इस कानून का उपयोग करना सिखाकर, आम लोगों के दिमाग़ को भ्रष्ट किया।जब कोई महिला किसी बात पर थाने जाती हैं, तो पुलिस और वक़ील के द्वारा ही अपने निजी स्वार्थ के लिए,इन कानूनों के दुरूपयोग की सलाह दी जाती हैं,लेकिन अंहकार और तामसिक गुणों के दुष्प्रभाव के कारण ,सब जानते हुए भी,वर्तमान विश्व के नीति नियमों के निर्माता,अपनी जिम्मेदारी से बचते हैं और समाज को अंधकार में धकेल देते हैं।जानबूझकर किए गए अपराध का बहुत कठोर दंड होना चाहिए।जीत सत्य की ही होगी।
धन्यवाद :- बदला नहीं बदलाव चाहिए
