पहले किसान अपनी उपज मंडी , ( मंडी समिति य्या APMC ) में बेचने के लिये बाध्य था ।
मने मंडी की चारदीवारी के बाहर उपज बेचना ग़ैरकानूनी था ।
मंडी में अपनी उपज बेचने पे किसान को 8.5% tax देना पड़ता था ।इसमे से लगभग 2.5%मंडी में बैठे आढ़तियों बिचौलियों की जेब मे जाता था और शेष 6% मंडी समिति और राज्य सरकार की जेब मे ।पंजाब जैसे राज्य में यदि 2 लाख करोड़ रु की फसल खरीदी जाती थी तो उसमें से लगभग 17000 करोड़ रु आढ़तिये , बिचौलिए , मंडी समिति और राज्यसरकार ले जाती थी और ये 17000 करोड़ रु किसकी जेब से जाता था ??????
किसान की जेब से ……..
अब नए कृषि कानून में मोदी सरकार ने ये प्रावधान कर दिया कि किसान अब चाहे जिसे , चाहे जहां कहीं भी बैठ के अपनी फसल बेच सकेगा अगर उसका मन करे मंडी में बेचे और 8.5% tax दे , मन करे तो अपने खेत से बेच दे या कहीं भी सड़क पे अपनी खुद की मंडी बना ले APMC यानी सरकारी मंडी से बाहर बेचने पे उसे वो 8.5% tax नही देना पड़ेगा
अब आप ये बताइये की आप अपनी फसल कहाँ बेचना पसंद करेंगे ??????अगर आपको बाहर अच्छा दाम मिल रहा है और 8.5% Tax भी नही देना पड़ रहा तो निश्चित रूप से बाहर ही बेचेंगे न ???????
अब आप जान लीजिए कि मण्डी समितियों , राज्य सरकारों और आढ़तियों बिचौलियों का कितना नुकसान होने वाला है नई व्यवस्था में ये तीनों लोग जानते हैं कि नया कृषि कानून हमारी दुकान बंद कर देगा।किसान भला ऐसी व्यवस्था का विरोध करेगा जिसमे उसे कहीं भी माल बेचने की आज़ादी और 8.5% tax की बचत हो ???????
तो फिर दिल्ली घेरने वाले कौन लोग हैं ???????