दिल्ली से पंजाब लौटते खालिस्तान समर्थकों द्वारा हरियाणा और पंजाब के अनेक मन्दिरों में पथराव और तोड़फोड़ की घटनाएं आपको उद्देलित क्यों नहीं करतीं ? इसलिए आप दुखी नही होते क्योकि मन्दिर और मूर्तियों का टूटना इस देश मे कोई नई बात नहीं है, दरअसल मन्दिरों के ध्वंस के उल्लेख के बगैर तो भारत का इतिहास ही अधूरा है ! चूंकि 1350 साल से मन्दिर /मूर्तियां तोड़े जाने का इतिहास मौजूद है तो मन्दिर के प्रांगण में टूटी मूर्ति हमे आंदोलित नहीं करती…
पंजाब लौटते पंजाब के सिख नौजवान मन्दिरों पर पथराव करके खुश होते हैं… उन्हें लगता है कि दिल्ली में सप्ताह भर रह कर हिंदुओं की जिस आत्मा के सीने में वह भाला नहीं चुभो पाए थे… टूटे मन्दिर और भग्न मूर्ति देखकर उनके कलेजे में ठंडक पड़ रही है ! कल ही जालंधर के एक मन्दिर के दो पुजारियों और एक हिन्दू बेटी सिमरन को गोली भी मार दी गई !… तीनों लोग मौत से लड़ रहे हैं ! मेन स्ट्रीम मीडिया ने इस खबर को रिपोर्ट ही नहीं किया है… ज़रा पिछले दो साल की घटनाओं को गिनिए… पंजाब में सैकड़ों साल पुरानी रामलीलाओं का मंचन रोका गया है, शोभायात्राएं रोकी गईं है और जन्मभूमि समर्पण निधि यात्रा में लगातार बाधा डाली गई है… निधि एकत्र करने वाले कार्यकर्ताओं में भय व्याप्त है ! पिछले कई बरसो में हिन्दू संगठनों के अनेक कार्यर्ताओं को पॉइंट ब्लैंक रेंज से उड़ा दिया गया है….
एक वीडियो देखी कि सरदार जी लोग “जो बोले सो निहाल… और नारा ए तकबी ” का समवेत स्वर में पाठ कर रहे हैं ! सिंघु बार्डर पर गुरुद्वारे की स्थापना की गई… रोजाना नमाज़े पढ़ी गईं… लेकिन हिंदुओं के आराध्यों को तो वहां गाली ही पड़नी थीं तो मन्दिर की स्थापना कौन करता ? अब भी क्या यह समझाने की ज़रूरत है कि कथित किसान आंदोलन… मूलतः हिन्दू विरोधी आंदोलन है !
बड़ी चालाकी से खालिस्तानियों ने 26 जनवरी के भारत विरोधी कृत्य के बाद किसान आंदोलन को जाट आंदोलन का रूप दे दिया ! इस आंदोलन में जो लोग नकली पगड़ी लगाकर शामिल हो रहे थे,कादिर राणा ,नाहिद हसन और मोहम्मद जौला की सदारत में खुल कर सामने आ गए! परसो ही सैकड़ों ट्रैक्टरों में मोमिन वर्ग के लोगों को तिरंगा और किसान आंदोलन का झंडा लेकर दिल्ली रवाना होते देखा गया ! पंजाब के खालिस्तान समर्थक और कादिर राणा समर्थकों के हिन्दू विरोधी आंदोलन की लड़ाई… हरियाणा और पश्चिमी उत्तरप्रदेश की खाप पंचायते लड़ रही हैं !
खबर चल रही है कि जल्दी ही NRC और CAA विरोधी मुहिम वहीं दिल्ली से फिर से प्रारम्भ होने जा रही है ! जब आप अपने फूटे मुँह से शाहीनबाग, सिंघु, गाजीपुर,टिकरी बॉर्डर को खाली करने की एक सामान्य अपील तक नहीं कर सकते तो इसका सीधा सा मतलब यह हुआ कि आप अपने समर्थकों को मिट्टी का माधो – अपनी रखैल ही तो समझते हैं…
पहले तो खाद्य मंत्रालय को यह बताना चाहिए कि पंजाब और हरियाणा में ऐसे कौन से लाल लटके हैं कि वहाँ के 88 % चावल और 77 % गेहूं को भारतीय खाद्य निगम … यहाँ के किसानों के मुंह मांगे दामों पर क्यों खरीद लेता है ? वहीं यूपी और मध्यप्रदेश के किसान. जो पंजाब की क्वालिटी से सौ गुनी अच्छी क्वालिटी का गेंहू चावल पैदा करते हैं , UP/ MP के इन उत्कृष्ट उत्पादों का सिर्फ 23 % ही भारतीय खाद्य निगम क्यो खरीदता है ? पंजाब का गेंहू बहुत जल्दी सड़ जाता है… फेकना पड़ता है ! GST में पंजाब का सहयोग सिर्फ 15 हज़ार करोड़ है और यूपी का 70 हज़ार करोड़ के आस पास ! जिन लोगों को फ्री का चस्का हो… वह इतनी ही कम GST देंगे ! कश्मीर तो सिर्फ 4000 करोड़ ही GST देता है… यह वह लोग है जो सरकार की गोद मे बैठकर सरकार की दाढ़ी नोचते हैं….
बहरहाल 27 जनवरी की रात टिकरी, सिंघु और गाजीपुर बॉर्डर खाली पड़े थे ! बगैर किसी प्रतिरोध के तीनों बार्डरों को खाली कराया जा सकता था… अब सरकार समर्थक पानी पी पी कर सोंच कर बताएं कि सरकार की इस सह्र्दयता का लाभ किसे मिला ? फिर से इन तीनों बार्डरों पर मारो-काटो के नारे लगने लगे… देश को इससे क्या फायदा हुआ….
चलते चलते फिर याद दिला दूँ… पंजाब में हो रहे मन्दिरों पर हमलों को किसी वर्ग की साधारण शरारत न समझा जाये ! पंजाब और घाटी में आतंक की शुरुआत, मन्दिरों पर हमलों और पुजारियों की सुनियोजित हत्याओं से से ही हुई थी !
