🌷देवी की पूजा और ज्योति का महत्व🌷
मैया रानी के नवरात्रि चल रहे है और घर घर मे मा की ज्योति जल रही होगी।हम में से अधिकांश लोग ज्योति जलाते है और उसकी महिमा भी जरूर जानते होंगे क्योंकि कुछ भी कार्य करने से पहले उसकी महत्वता को समझना मनुष्य की स्वाभाविक प्रकृति होती है।
वैसे कोई भी पूजा ज्योति के बिना तो अधूरी ही है मगर देवी की पूजा में ज्योति तो साक्षात देवी का ही रूप है,ज्योति ही देवी मैया स्वयं है।तभी तो माँ के जयकारे में बार बार यही कहा जाता है कि “सच्चिया ज्योतावाली माता तेरी सदा ही जय।”
ज्योत में ही देवी समाई हुई है और इसलिए नवरात्रि में अखंड ज्योत जलाकर हम मां की प्रसंसा को तुरंत ही प्राप्त कर लेते है।अखंड ज्योत जहाँ भी जलती है वहाँ के सारे वास्तु दोष अपने आप मिट जाते है। अखंड ज्योत वालो के घर मे कभी भी सुख समृद्धि की कमी नही होती।
अखण्ड ज्योत जहाँ जलती है वहाँ मैया का सदा ही पहरा रहता है और माता उनका सर्वदा कल्याण करती है।
अखंड ज्योत जलाते समय कुछ नियम का पालन अगर कर ले तो फिर माता की कृपा में कोई कमी नही रहती।जैसे कि-
ज्योत को लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर रखना चाहिए।
वैसे तो बाजार में अखंड ज्योत की बनी बनाई बाती मिलती है अगर वह न ला पाए तो सवा हाथ के नाप की सूती मौली को बनाकर ज्योतमे पिरो कर ज्योत जलानी चाहिए। ज्योत देशी घी उसमे भी गाय के देशी घी की हो तो उत्तम। तिल के तेल की ज्योत भी उत्तम मानी गई है।
ज्योत को जलाने के बाद भगवती मैया से उसकी रक्षा करने की और हमे उसकी सेवा करने की शक्ति देने की प्रार्थना करनी चाहिए।ज्योत में सुबह शाम तेल भरते रहे और चिमटी से ज्योत को ऊपर करते रहे और ऐसा जब जब करे तो हाथ धोकर कुल्ला कर के सिर पर चुनी लेकर ज्योत को ठीक करे।
जो मैया की श्रद्धा और लगन से ज्योत जलाता है तो माता उसको अभय दे देती है और हमेशा का उस भक्त का ठेका ले लेती है।उसे बाकी सभी से ऊपर उठा देती है और वह दूसरों को भी शरण देने वाला हो जाता है।
मा की ज्योत हमारे पूजापाठ की साक्षी है और हमारा संदेशा माता के पास पहुंचाती है।
माँ को ज्योति इतनी पसंद है कि वह युगों युगों से ज्वालाजी में ज्योति रूप में भक्तो को दर्शन दे रही है।
सब से आखिरी में दीपदान का वैदिक संस्कृति में बहुत ही महत्व है चाहे फिर वह नवरात्रि में मैया के निमित हो अथवा कार्तिक मास में तुलसी जी को समर्पित
🚩🌹जय माता की।🌹🚩
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