:-: नागपंचमी :-:
वेदों, शास्त्रों और अन्य सनातन ग्रंथों में नाग को दूध से स्नान कराने का नियम हैं, दूध पिलाने का नहीं।गुरुकुल शिक्षा व्यवस्था नष्ट होने के कारण अज्ञानतावश लोग नाग को दूध पिलाने लगें।हमारी सपेरा जाति सर्प विशेषज्ञ ही थी,जो सापों को पकड़ने और उनके विष को निकालकर,उसका उपयोग औषधियां बनाने में करती थी।दूध से मृत त्वचा आसानी से निकल जाती हैं,इसलिये साँप को दूध से नहलाने का नियम बना,जिससे साँप आसानी से अपनी केंचुली बदलकर,स्वस्थ रहें।अधिकांश सर्पिणी बारिश के मौसम में ही गर्भवती होती हैं।गर्भधारण के समय ,उन्हें अपनी अतिरिक्त ऊर्जा केंचुली निकालने में खर्च न करनी पड़े और उस ऊर्जा का उपयोग वह अपने स्वास्थ्य पर करें, इसलिये दूध से स्नान कराने पर उसे सहायता हो जाती हैं।80% साँप विषहीन होते हैं, इसलिये उनसे डरकर, उन्हें मारिये मत,अगर आप साँप को मारेंगे, तो आपकी मृत्यु सर्पदंश से ही होगी और सर्पदंश से मृत्यु होने पर,आप अगले जन्म में विषहीन सर्प की योनि में जन्म लेंगे।
किसी जीव की सहायता करने से जो परम आंनद की प्राप्ति होती हैं,उसे वर्तमान के फोटो वाले एनिमल लवर नहीं जानते।अतः नागपंचमी के दिन साँप को दूध से स्नान अवश्य करवाइये और पुण्य के भागीदार बनिये।
धन्यवाद :- बदला नहीं बदलाव चाहिए
