एक सबक देती है कि जिन्दा रहना है तो लड़ना सीख लो।कायदे से तो उनकी पुस्तों से कश्मीर का हिसाब लिया जाना चाहिए मगर सेक्युलर भड़ुओं और भाई-चारे के रहते कुछ मुमकिन नहीं।
बिहार में भी लालूराज में नक्सलियों ने वही करने की कोशिश की थी जो कश्मीर में हुआ परन्तु बिहार ने बंदूक चुनी और “एक के बदले 10”, का मन्त्र। आज बिहार नक्सल और आतंक मुक्त है। कश्मीर में हालात वहां तक पहुँच गए पर 1400 वर्षों में हमने अलतकिया न समझा और न ही आज समझने को तैयार हैं। गांधी जैसे दूसरा गाल आगे करोगे तो मिट जाओगे क्योंकि दूसरे गाल पे थप्पड़ खाने के बाद गला भी काटा जाएगा। जो कौमें लड़ना भूल जातीं हैं वो मिटा दी जाती हैं।
हमारे बीच घुसे बैठे सेक्युलर भडुये ही असली कमजोर कड़ी हैं। सबसे पहले तो इनका दाना पानी समाज से बन्द होना चाहिए।और क्या कहा- ? भाजपा को 8% वोट दिया!! बस 8 काहे कहि रहे हो? 80% कहो न? शर्म आनी चाहिए माकड़ों तुम्हे क्यों कि जहां भी वे बहुमत में थे वहाँ एक सीट हाँथ नहीं आयी। और ये 8% इसलिए बता रहे हो क्योंकि 80% संसाधन बेशर्मी के साथ झोंक रखे हैं उन लोगों के लिए।
इनको हिन्दुओं का कत्लेआम कराने के लिए पाला जा रहा है क्या? बात करते हो माताओं बहनों बेटियों के सम्मान की और साँपो को दूध पिला रहे हो। कश्मीर में कितनी इज्जत बचा लिए महिलाओं की? सरकारी स्तर पर इस सेक्युलरिज्म का झुनझुना बजाना अब बिल्कुल ही बन्द होना चाहिए।
मेरा अब्दुल वैसा नहीं, का नाटक बहुत हो चुका अब.. !!