:-: प्रश्न पूछना :-:
सन 1860 वाली और 1950 में देश में फ़िर से लागू,ब्रिटिश व्यवस्था में,किसी भी प्रकार के प्रशासनिक विभाग,सुप्रीमकोर्ट,या संसद,से आप कभी किसी भी कार्य के लिए कोई प्रश्न पूछेंगे या कोई उत्तर देंगे ,तो आपको मानहानि, अवमानना, शासकीय कार्य में बाधा पहुँचाने, देशद्रोह जैसे कानूनों की सहायता से मानसिक,शारीरिक और आर्थिक स्तर पर प्रताड़ित किया जायेगा।जो हैं, उसे बदलने का प्रयास मत करो,या कुछ नहीं होने वाला,दिनरात यहीं सिखाने वाली ,यह व्यवस्था लोगों को मानसिक ग़ुलाम बनाने के लिए बनाई गई।तामसिक प्रभाव में आया जन सामान्य,अपने निजीस्वार्थ में इतना डूब जाता हैं कि,वो इस सब को ईश्वर की इच्छा मानकर,इसी तामसिक व्यवस्था के अनुरूप ही व्यवहार और जीवनशैली को अपना लेता हैं।इसके उल्टा सनातन व्यवस्था में ,तो अगर स्वयं ईश्वर भी अगर आपके सामने खड़े हो,और जब तक आप पूर्णतः संतुष्ट न हो जाओ,तब तक ईश्वर से भी प्रश्न पूछने का आपको अधिकार हैं जैसे अर्जुन,श्रीकृष्ण से महाभारत युद्ध में करता हैं।या जैसे एक धोबी,श्रीराम से करता हैं।अगर श्रीराम या श्रीकृष्ण,चाहते,तो धोबी या अर्जुन ,मानहानि का केस करने की धमकी देकर,उन्हें शांत कर देते,लेकिन सनातन व्यवस्था में प्रश्न पूछने और उसके उत्तर को जानने की परंपरा आदिकाल से ही हैं।अब समय आ गया हैं मानसिक ग़ुलामी और तामसिक प्रवित्तियों की ओर धकेलती, इस व्यवस्था को बदलकर,वैज्ञानिक सनातनी व्यवस्था को पुनर्स्थापित करके,समाज को सतयुग के समान सुख शांति वाला जीवन दिया जाये।जीत सत्य सनातन की ही होगी।
धन्यवाद :-बदला नहीं बदलाव चाहिए