प्राण पखेरू उड़ें फड़ाफड़
जीवन बाग जले है ।
हंसता क्रूर कुरोना दानव,
मानव हाथ मले है ।
कैसी कठिन कुबेला आई,
जीवन संग मृत्यु भी धाई
आगे आगे दौड़ रही है,
सब को पीछे छोड़ रही है,
बकरी शेर संग है बांधी
कैसे काम चले है ।
सतत आंधियों में अब कैसे
जीवन दीप जले है ।
प्राण पखेरू उड़ें फड़ाफड़
जीवन बाग जले है ।
हंसता क्रूर कुरोना दानव,
मानव हाथ मले है ।
तूफानी हो गई हवा है,
विष से भरी हरेक दवा है,
अमृत के बागीचे सूखे,
मृत्यु दूत फिरते हैं भूखे,
कब किसको खा जाएं दानव,
पता न यही चले है ।
प्राण पखेरू उड़ें फड़ाफड़
जीवन बाग जले है ।
हंसता क्रूर कुरोना दानव,
मानव हाथ मले है ।
हश्र आखिरी अब क्या होगा
किसे पता है कब क्या होगा
अब तो सुधरो ऐ मन प्यारे
हर दुख की भगवान दवा रे
होकर आर्त पुकारो रब को
दुनिया दिवस ढले है ।
प्राण पखेरू उड़ें फड़ाफड़
जीवन बाग जले है ।
हंसता क्रूर कुरोना दानव,
मानव हाथ मले है ।
ब्यूरो चीफ
दिनेश सिंह
आजमगढ़