भारतीय महिला जनसंघ की राष्ट्रीय महिला अधयक्षा सुश्री शवेता रस्तोगी ने कहा
:-: बिरसा मुंडा :-:
अंग्रेजों ने ” इंडियन फॉरेस्ट एक्ट 1882″ लागू करके आदिवासी जहाँ पर सामूहिक खेती करते थे,वहाँ पर ज़मीदारी, महाजनी,दलाली वाली व्यवस्था लागू करके,राजस्व की नई व्यवस्था लागू की,जिसके कारण आदिवासियों से उनके जंगल,ज़मीन का अधिकार छीन लिया गया।बिरसा मुंडा ने पढ़ाई करने के लिये जर्मन स्कूल में प्रवेश लिया,जहाँ उनका जबरदस्ती धर्मपरिवर्तन करके, उन्हें बिरसा डेविड बना दिया गया।फिर बिरसा जी ने धर्म परिवर्तन के विरुद्ध और आदिवासियों को उनका अधिकार दिलवाने के लिये 1897 से 1900 वी सदी तक गोरिल्ला युद्ध किये और उनमें जीते,फ़िर किसी जयचंद के कारण उनकी मृत्यु हुई।1882 के एक्ट को ,1927 और 1950 में पुनः लागू करके,बिरसा मुंडा के बलिदान को व्यर्थ कर दिया गया।अब भारतीय संसद ,उस महात्मा का नाम सार्वजनिक करें, जिसने इस एक्ट को पुनः लागू करके ,आदिवासियों को उनके अधिकारों से वंचित किया,ताकि आम जनता को ,अपने असली दुश्मनों की जानकारी मिलें।यह बात प्रमाणित करती हैं कि आदिवासियों के शोषण में मनुस्मृति और ब्राह्मणों का कोई योगदान नहीं हैं।
धन्यवाद
बदला नहीं बदलाव चाहिए
