:-:. बुर्का प्रथा :-:
बुर्का प्रथा को कुप्रथा प्रमाणित करने के लिये वैज्ञानिक तर्क दिया जाता हैं कि मुस्लिम महिलाएँ,दिन के समय भी बुर्का पहने रहती हैं, जिसका रंग काला होता हैं, काला रंग प्रकाश को अधिक अवशोषित करता हैं, जिससे उन्हें अत्यधिक गर्मी का सामना करना पड़ता हैं और बुर्के में सूर्य की किरणें भी शरीर को पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाती,जिसके कारण विटामिन डी की कमी से आस्टियोपोरोसिस,आस्टियोमलेशिया जैसे विटामिन डी की कमी वाले रोग हो जाते हैं।आधुनिक वैज्ञानिकों की इन मनोहारी बातों का हम सम्मान करते हैं,लेकिन विज्ञान ये बताये की वक़ील महिला पुरुष भी काले रंग के कपड़े पहनते हैं, जिससे उनका पूरा शरीर ढका रहता हैं।अब जो विज्ञान काले रंग बुरके के लिये हैं, तो क्या वो विज्ञान वक़ील की काले रंग के पहनावे के लिये नहीं होगा क्या ? या फ़िर बुरका पहनने वाली महिलाओं और वक़ील महिला पुरुषों का शरीर अलग अलग तत्वों से मिलकर बना होता हैं।जैसे बुरके में चेहरा ढका रहता हैं वैसे ही वर्तमान में भी सभी महिलाएँ,अपने चेहरे को धूप से बचाने के लिये ढकती ही हैं।बुर्के में बम ही होगा,इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं।
आधुनिक विज्ञान केवल लोगों की फ़िरकी लेने और सत्ता स्थापित और भौतिक वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करवाने के लिये सृजित किया गया हैं,इसलिये आधुनिक विज्ञान के वैज्ञानिक नियम हर पल बदलते रहते हैं।
धन्यवाद :- बदला नहीं बदलाव चाहिए