:-: भांग :-:
भांग के नर पौधे से भांग और मादा पौधे से गांजा तैयार होता हैं।ईस्ट इंडिया कंपनी ने कुमाऊ में भांग की खेती को अपने हाथ में लेकर,उसे नशीले पदार्थ के रूप में प्रचारित कर,सुनियोजित तरीके से भांग को नशीला पदार्थ बताकर,उस पर प्रतिबंध लगा दिया गया।भांग की खेती करने वाली जातियों को 1950 में पिछड़ा और शोषित प्रमाणित किया।भांग में टी.एच्.बी., कैनाबाईइडियाल (C.B.D.) जैसे 400 रासायनिक यौगिक होते हैं,कीमोथेरेपी के दुष्प्रभाव,कोलन,लिवर और ब्रैस्ट कैंसर,ब्रेन स्ट्रोक,हैपेटाइटिस सी,ग्लूकोमा,अल्ज़ाइमर,ऑटोएम्यून,भूख न लगना,जी मचलाना,मल्टीपल स्केलेरोसिस जैसी बीमारियों के लिये अमेरिका(F.D.A.),कनाडा,कैलिफोर्निया, जर्मनी, ब्रिटेन, के रिसर्चरों और इन देशों की दवा एजेंसियों ने भांग के उपयोग की अनुमति दे दी हैं।भगवान शिव का संबंध तांत्रिक क्रिया यानि नर्वस सिस्टम के साथ हैं, इसलिये उन्हें भांग पीते दिखाया जाता हैं।जिसे भांग जैसी आयुर्वेदिक औषधि की चोरी करने के लिये विदेशियों द्वारा दुष्प्रचारित करके,शिव जी को नशेड़ी प्रमाणित किया गया,और वर्तमान में आयुर्वेद को पाखंड बताकर, उसकी औषधियों का पेटेंट मिशनरियों ने लेने के लिये, यह सारा षड्यंत्र किया।
धन्यवाद :- बदला नहीं बदलाव चाहिए
