:-: भाला और भील :-:
1860 से लागू ब्रिटिश संविधान में भीलों को पिछड़ा,शोषित कहकर हीनभावना डाली गई,लेकिन सच्चा इतिहास कभी नहीं बदलता।भारतीयों के रक्त में भाला फेंकने की कला हैं, जिसका प्रमाण ओलंपिक में भी मिला।भाला फेंक में गोल्ड लाने वाले अपने पूर्वजन्म में भील समुदाय से ही थे।कुछ ब्रिटिश चापलूस महापुरुषों ने भारत में संप्रदाय परिवर्तन के अपने निजी स्वार्थ के लिये भारतीयों को आपस में लड़वाने हेतु जातिवाद और छुआछूत की मनगढ़त कहानियां बनाई।भाले की सहायता से गोरिल्ला युद्ध प्रणाली में पारंगत वनवासी,जो आम जनता की रक्षा के लिये भोलाई नामक कर वसूल करते थे,वो भील कहलाएं।1661 में राजपूतों ने भीलों के साथ मिलकर औरंगजेब को हराया।1576 में राजस्थान के राणा पूंजा भील और महाराणा प्रताप ने मिलकर गुरिल्ला युद्ध प्रणाली से मुग़लो को हराया था,जिसके कारण मेवाड़ के राजचिन्ह में भील और राजपूत दोनों के प्रतीक चिन्ह हैं।बप्पा रावल को भील समुदाय ने पाला और उन्हें रावल की उपाधि दी।पंजाब और शिवी के भील शासकों ने सिकंदर को हराया था।गुजरात ,म.प्र. और राजस्थान में भील राजाओं का शासन था।डांग के पांच भील राजाओं को आज भी भारत सरकार की ओर से पेंशन मिलती हैं।जीत केवल सत्य की ही होगी।
धन्यवाद :- बदला नहीं बदलाव चाहिए
