:-: मंदिर विध्वंस :-:
अनेकों ब्राह्मणों की हत्या के बाद अशोक ने भारत को नास्तिक बौद्ध देश बनाकर,अनेकों मंदिरों को तोड़कर उन्हें बौद्ध मंदिरों में बदल दिया,उसके बाद शंकराचार्य ने चतुष्पिठो की स्थापना करके बौद्ध धर्म को मिथ्या प्रमाणित कर ,बौद्धों द्वारा तोड़े गए मंदिरों को पुनः सनातन मंदिरों में परिवर्तित कर धर्म की स्थापना की।शंकराचार्य से प्रभावित अखंड भारत के जैन राजा ने पुनः सनातन धर्म स्वीकार किया,तभी से जैन-हिंदू की मैत्री हैं।उनके जाने के बाद भारत के बाहर , सभी वर्तमान के बौद्ध देशों में हिंदू बौद्धों के मध्य इसी मूलनिवासी,जातिवाद वाली कहानी के कारण गृहयुद्ध हुए,जिसमें बौद्ध जीत गए।आज भी भारत समेत समस्त बौद्ध देशों में अनेकों ऐसे प्राचीन मंदिर हैं,जो इस विध्वंस का प्रमाण हैं।स्वयं सोचिए आदि जी के समय न तो ईसाई थे ,न मुस्लिम,फिर मंदिर किसने तोड़े ??मुगलकालीन इतिहास,इन्हीं सब बातों से ध्यान भटकाने का मानसिक हथियार हैं ,जिसमें मुस्लिम तो केवल मोहरा हैं।विजय तो सत्य की ही होगी।
धन्यवाद :- बदला नहीं बदलाव चाहिए
