:-: मनुस्मृति :-:
मनुस्मृति के शासन काल के समय भारत 83 लाख वर्ग किलोमिटर में फैला था और आज केवल 33 लाख किलोमीटर ही बचा हैं।हज़ारों जातियां थी,छुआछूत थी,ऊंचनीच थीं, भेदभाव,हज़ारों बोलियां, भाषाएं और हर गांव के अपने अपने भगवान थे,लेकिन सारा भारत एकजुट था,जहाँ लोग एक दूसरे की भाषा को भले ही न समझे,लेकिन भावना को समझते थे।ये सारी बातें प्रमाणित करती हैं कि जैसा इतिहास हमें पढ़ाया जाता था,वैसा भारत में कुछ भी नहीं था,क्योंकि अगर वैसा था तो फिर क्या कारण था,जिसके कारण लाखों वर्षों से भारत अखंड था ?अगर मनुस्मृति इतनी बुरी थी तो,हज़ारो वर्षो तक लोगों ने उसका विरोध क्यों नहीं किया ?अपने निजी स्वार्थ की पूर्ति के लिए और लोगों का सप्रदाय परिवर्तन करने के लिए,एक महान कानूनी और विज्ञान पर आधारित पुस्तक को जलाना,दिवालियापन की निशानी हैं, जिसके कारण मात्र कुछ दशकों में ही भारत के टुकड़े टुकड़े हो गई।अगर जलाना हैं, तो उन पुस्तकों को जलाओ,जिन्होंने भारत के टुकड़े किये।मनुस्मृति के शासन के समय जो लाखों वर्षों से प्राकृतिक संपदा सुरक्षित और संरक्षित थी,वह कुछ ही दशकों में कैसे और क्यों नष्ट हो गई ?लोगों को मानसिक ग़ुलाम बनाने और प्राकृतिक संपदा की लूट के लिये,यह सारा षड्यंत्र रचा गया,क्योंकि जब तक मनुस्मृति थी ,तब तक भारत के टुकड़े करना असंभव था।जीत सत्य की ही होगी।
धन्यवाद :- बदला नहीं बदलाव चाहिए
