ममताका खतरनाक खेल
जो लोग ये समझते हैं कि ममता बनर्जी कोई अर्ध शिक्षित, उज्जड, सनकी महिला हैं, वे गलत समझते हैं। ममता बनर्जी एक काफी पढ़ी लिखी, बेहद चालाक और अति महत्वाकांक्षी शातिर महिला है और वे हर काम सोच समझ कर करती है।
उनकी सत्ता की प्यास अपार है, और सत्ता के लिए कुछ भी कर सकती है। यूँ समझिये की वे अरविन्द केजरीवाल की बड़ी बहन है।
सत्ता के लिए उन्होंने बीजेपी से भी हाथ मिलाया था। अटल जी की सरकार में वे मंत्री थी। जब उन्हें लगा की NDA छोड़ने से ज्यादा फायदा है, तो उस फर्जी तहलका कांड का बहाना बना कर NDA छोड़ा, और जाते – जाते जॉर्ज फ़र्नाडिस जैसे ईमानदार और जुझारू नेता पर भी आरोप लगाने से नहीं चुकी।
फिर कांग्रेस का साथ किया, UPA में मंत्री रही, और जब देखा की अकेले कम्युनिस्टों से निपट सकती है, कांग्रेस को भी डंप कर दिया। स्पष्ट है की ममता का कोई सिद्धान्त नहीं है, सिर्फ सत्ता प्राप्त करने के सिवा।
अब प्रश्न ये है की ममता सत्ता क्यों चाहती है। उनके पिछले वर्षो के शासन से ये स्पष्ट है की देश/समाज का भला करने के लिए तो बिलकुल नहीं।
चूँकि निसंतान है, तो परिवार के लिए भी नहीं। धन की लालची भी नहीं लगती (मायावती के सामान, जिनका पैसा कमाना ही ध्येय है), फिर सत्ता प्राप्ति का उद्देश्य क्या है?
दरअसल ममता का ध्येय बंगाल का CM, या देश का PM बनना भी नहीं है। उनका असली उद्देश्य एक नए देश को बनाना है, ठीक जिन्ना की तरह, और वो देश है महाबंगाल।
देश के विभाजन के पूर्व ही, बंगाल के मुस्लिम नेता जैसे सुहरावर्दी एक स्वतंत्र महा बंगाल बनाना चाहते थे क्योंकि उसमें मुसलमान बहुमत में थे, और सत्ता उनके पास ही रहती। वे बंगाल का विभाजन नहीं चाहते थे।
इस योजना को जिन्ना का भी समर्थन था।गांधीजी जैसे बहुत से हिन्दू नेता भी हिन्दू–मुस्लिम एकता के नाम पर इस बात पर सहमत हो गए थे, लेकिन भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी के प्रबल विरोध के कारण ये षड़यंत्र विफल हो गया था। लेकिन मुस्लिम नेताओं की एक मुस्लिम बहुल, मुस्लिम शासित, महा बंगाल की इच्छा बरक़रार रही।
अब ममता इसको पूरा कर रही है। बांग्लादेश में मुस्लमान 85% है। पश्चिम बंगाल में 25%. योजना ये है कि बांग्लादेश से घुसपैठिये पश्चिम बंगाल में बसाये जाएं और मुस्लिम आबादी बढ़ाई जाय। जिस दिन मुस्लिम आबादी 51% हो जाय, उस दिन पश्चिम बंगाल को मुस्लिम राष्ट्र घोषित कर उसका विलय बांग्लादेश में कर दिया जाय।
वैसे भी ममता सिर्फ नाम की हिन्दू है। मैंने अब तक उनकी दुर्गा पूजा मनाते कोई फोटो नहीं देखी, लेकिन इबादत करते, इफ्तार करते कई फोटो देखी है।
ममता ने MA भी इस्लामिक हिस्ट्री में किया है। इस्लाम से उनका लगाव पुराना है। मुस्लिम में वे लोकप्रिय भी है। मुस्लमान बन जाने के बाद एक मुस्लिम बहुल महाबंगाल का PM बनने से उन्हें कौन रोक सकता है।
चूंकि इस्लाम में कम्युनिज्म बैन है (कम्युनिस्ट ईश्वर को नहीं मानते और इस्लामिक देश में ये कहना की ईश्वर नहीं है, संगीन जुर्म है जिसकी सजा मौत है), इसलिए ममता को वहा कोई मुकाबला देने वाला भी नहीं होगा यही उनका प्लान।
आज जिस प्रकार ममता केंद्र से सीधी टक्कर ले रही है और विघटनकारी ताकतों को एक कर रही है तथा संविधान की धज्जियां उड़ा रही है उससे साफ दिखाई देता है कि वह अपने उद्देश्य में सफल होती दिखाई दे रही है।
कोई आश्चर्य नहीं होगा यदि ममता सुप्रीम कोर्ट का कोई निर्णय या हाईकोर्ट का निर्णय मानने से मना कर दें।
अब केवल एक रास्ता है कि भारत की आज़ादी की पहली मिसाल जिस प्रकार बंगाल से जगी थी उसी प्रकार हिन्दू विद्रोह कर दे। भयानक दौर से हम सब गुजर रहे हैं।
अभी अमेरिका से भी एक रिपोर्ट आई थी 2019 के चुनाव से पहले कोई बड़ा काण्ड हो सकता है इसलिये अनुरोध है सभी शस्त्र सम्पन्न हों और एकता से रहें।
हिन्दुओं के लिये यह विपत्ति काल है।
जय महाकाल जय श्रीराम जय वीर हनुमान जी 🙏🙏🙏