:-: मिट्टी के घर :-:
हमें पिछले 150 वर्षों में यह बार बार बोलकर रटवाया गया,कि जब मनुवादी ब्राह्मणों का शासन था,तब भारतीय लोग मिट्टी गोबर के बने कच्चे घरों में रहते थे और खुले में शौच करते थे।जब अंग्रेज आये,तब वह अपने साथ सीमेंट ईंट के बने पक्के मकान का विज्ञान लेकर आये और आज हमें हमारे कच्चे मकानों से निकलवाकर पक्के मकानों में रहने की आदत लगवा दी।सरकारी संवैधानिक माध्यम से यह सारा षड्यंत्र किया गया।आज जब अपनी मूर्खता के कारण आधुनिक विज्ञान और विकसित देशों ने सारा पर्यावरण नष्ट कर दिया,तब उन्हीं कच्चे घरों को Eco friendly morden mud house बोलकर उन्हें जर्मनी ने अपनी टेक्नोलॉजी बता दिया हैं और पूरे विश्व और भारत में इन्हें save nature,save world कहकर लाखों रुपयों में बेचा जा रहा हैं और आधुनिक शिक्षित मूर्ख सनातन जीवनशैली का परिहास उड़ाते हुए,इन्हें खरीद भी रहे हैं। घर में शौच करने पर करोड़ो लीटर पानी बर्बाद हो जाता हैं, अभी इस दशक के अंत तक आते आते save water,save world के नाम से खुले में शौच भी पुनः शुरू करवाई जायेगी।सुख,शांति और प्रेम से रहने के लिये अपनाना तो मनुवादी सनातन संस्कृति ही पड़ेगी,लेकिन इस तरह के बौद्धिक षड्यंत्र करके बौद्धिक सम्पदा की चोरी की जाती हैं।
धन्यावद – बदला नहीं बदलाव चाहिए