मुनव्वर तो एक बानगी है, यहां जेहाद की पूरी मंडी लगी हुई है और इन सबको हिन्दी काव्य मंचों पर सम्मान सहित आमंत्रित किया जाता है । मतलब हिन्दू के पैसे से ही जेहादी शायर भी पल रहे हैं..आस्तीन के सर्प सदा ही, पालक के ही काल रहे हैं हम हिन्दी के काव्य मंच पर, कई मुनव्वर पाल रहे हैं ।