मुग़लकाल :-:
सन 1950 से पहले,न तो भारत मे कोई मुग़लकाल था,न ही मुस्लिमों ने देश और दुनिया में किसी भी भारतीय मंदिर को तोड़ा और न ही लूटा और न ही मुस्लिमों द्वारा नालंदा विश्वविद्यालय जलाया गया।उपयुक्त सारा इतिहास झूठ पर आधारित हैं और अपने झूठ को प्रमाणित करने के लिये भारत पाकिस्तान का बंटवारा किया गया और हर वर्ष कहीं न कहीं हिंदू मुस्लिम के दंगे करवाये जाते हैं।भारत समेत पूरी दुनिया में मंदिरों को तोड़ने वाले ,वो लोग हैं जो 500 वर्षो तक श्रीराम मंदिर के बहाने हिंदू मुस्लिम को लड़वाते रहे और जब राममंदिर के पक्ष में फैसला आया तो 20 अगस्त 2020 सुप्रीम कोर्ट में मंदिर निर्माण रोकने की याचिका,यह कहकर लगाते हैं कि वहां तो एक प्रबौद्ध विहार था,जिसे सुप्रीम कोर्ट ख़ारिज कर देता हैं।पुस्तकालय जलाने वाले भी वही लोग हैं जो हर वर्ष वेद,पुराण,मनुस्मृति की होली जलाते हैं।मुस्लिम शरिया और क़ुरान के अनुसार कार्य करते हैं, जो उन्हें किसी भी मंदिर को तोड़ने या पुस्तकें जलाने का आदेश नहीं देती।किसी भी व्यक्ति या समाज का व्यवहार कभी नहीं बदलता।सनातनियों से घृणा करने वाले मुस्लिम नहीं हैं।हिंदू मुस्लिम तो भाई भाई हैं।इसलिये आस्तीन के अजगरों को पहचानिये और आपस में प्रेम से रहिए।जीत सदैव सत्य की ही होगी।
धन्यवाद :- बदला नहीं बदलाव चाहिए
