:-: मैला ढोने की प्रथा :-:
कमरें में मलमूत्र त्याग करने और उसके बाद हाथ न धोने की आदत ब्रिटिशों की थी।उस शौच को वह भारतीय ग़ुलामों से उठवाकर बाहर फ़िकवाते थे और अमेरिकन अंग्रेजों ने अश्वेतो के साथ भी यहीं किया। इस प्रथा को यह कहकर प्रचारित किया गया कि ऐसा ब्राह्मणों ने किया।जबकि हम सब आधे से अधिक भारतीय आज भी और पहले तो पूरे भारतीय खुले में ही शौच करतें थे,तो उस शौच को बाहर कहाँ फ़िकवाते ?वर्तमान में भी सीवेज या नाली सिस्टम अंग्रेजों की ही देन हैं, जिसमें उतरकर,मीथेन के कारण मजदूर मरते हैं और उसे ऐसा प्रचारित किया जाता हैं कि हजारों वर्षों से यह शोषण चल रहा हैं, जबकि यह सीवेज तंत्र अभी कुछ दशक पहले ही भारत में बना हैं।अंग्रेजों द्वारा मैला ढोने की प्रथा का आरोप ब्राह्मणों पर लगाकर,भारतीयों को आपस में लड़वाने, घृणा भाव भरने और बौद्धिक संपदा की चोरी से ध्यान भटकाने के लिए लगाया गया।घटनाओं के समयकाल में परिवर्तन करने और उन्हें मीडिया व फिल्मों कहानियों के माध्यम से बढ़ा – चढ़ा कर दिखाने के कारण,इसप्रकार के मतभेद उत्पन्न हुए।अंतिम विजय सत्य की ही होगी।
धन्यवाद :- बदला नहीं बदलाव चाहिए