मोदी टीम : परख से परे है शख्शियत
अमेरिका के झुकने का पटाक्षेप इतनी जल्दी होगा इसका मुझे अनुमान ही न हो सका। अभी कल कि आखिरी पोस्ट में लिखा था कि पिछले दो वर्षों के अमेरिका के प्रति मेरे अनुमान का अंतिम समय आने वाला है। पर घटना क्रम इतनी जल्दी घूमा कि पोस्ट में मात्र तीन घण्टों के बाद कमेंट आने लगे कि अमेरिका ने अपने हथियार डाल दिये हैं।
यह आचर्यजनक था। पर कैसे हुआ? इसमें दोधारी तलवार नहीं चौ-धारी तलवार का इस्तेमाल हुआ और पांचवी तलवार ने अमेरिका के अंदर से ही अमेरिका के थिंक टैंक और भारतीय लॉबी ने जो- बाईडेन पर वार करने शुरू कर दिए थे।
हुआ यूं कि:
- सबसे पहले हमारे विदेश मंत्री ने बयान जारी किया कि हमें अपनी स्ट्रैटिजिक नीति को हो सकता है रिव्यु करना पड़े। यानि हो सकता है चीन के विरुद्ध युद्ध में भारत अमेरिका का साथ न दे। यह अमेरिका पर दूसरे विश्वयुद्ध के बाद आज तक का सबसे बड़ा वार था।
- दूसरे मोदी जी ने कह दिया कि हम oxford की AstraZeneca वैक्सीन न बनाकर अपनी स्वदेशी कोवैक्सिन ही बनाएंगे जिसका पूरा रॉ मटीरियल भारत में ही मौजूद है और यह कोविशिल्ड से तीसरे चरण के नतीजों के आने के बाद ज्यादा बेहतर भी साबित हुई है और साथ ही मोदी जी ने इसके दाम कोविशिल्ड से ही नहीं बल्कि दुनिया भर में बन रही सभी वैक्सीनों से ज्यादा रख दिये। यह रणनीति थी। चूंकि इसका जितना भी उत्पादन होना था वो कोरोना के भयंकर प्रकोप के चलते भारत में ही खप जाना था इसलिए इसके एक्सपोर्ट प्राइस 16 डॉलर प्रति डोज रख दिया और भारत में इसकी कीमत 600 रुपये रख दी जबकि कोविशिल्ड का दाम 400 रखा। इसका पूरी दुनिया में मनोवैज्ञानिक असर हुआ। भारत की बायोटेक कम्पनी वाली वेक्सीन जो मोदी जी ने भी खुद लगवाई है वही दुनिया की सबसे बेहतर वेक्सीन है। साथ में ही क्यूंनकी ऑक्सफ़ोर्ड की AstraZeneca वेक्सीन के उत्पादन और वितरण में उनको भी रॉयल्टी का शेयर जाता था वो भी बन्द हो जाता तो ब्रिटेन और यूरोपीय संघ एकदम से भारत के पक्ष में आ गया। दुनिया के गरीब देशों के 126 देश पहले ही भारत से आस लगाए बैठे थे। बाकी के देशों को भी पता था कि उनकी जरूरतों को सिर्फ भारत की फार्म इंडस्ट्री ही पूरा कर सकती है।
- चीनी अखबारों ने ( Global Times) एक एक करके एक ही दिन में 20-25 आर्टिकल भारत को सचेत करते हुए लिख दिए कि अमेरिका हमेशा समय आने पर धोखा देता है अतः भारत को अमेरिकी पक्ष में नहीं जाना चाहिए। इस सब को लेकर हम जैसे लाखों लोगों ने भारतीय सोशल मीडिया पर अमेरिका के खिलाफ आर्टिकल लिखने शुरू कर दिए। बस इसी का लाभ उठाते हुए भारत के NSA अजित डोभाल ने USA के NSA और सरकारी एडवाइजरी बोर्ड के सेक्रेटरी को फ़ोन करके भारतीय जनमानस की भावना का संदेश भेज दिया और अमेरिका में भारतीय लॉबी को सक्रिय कर दिया।
- उधर भारत के एक्सपोर्ट डिवीज़न ने अमेरिका को होने वाली फार्मसेटिकुल सप्लाई को रोकने की भी बात कह दी जिससे अमेरिका में अन्य दवाइयों और वैक्सीनों के इलावा वहाँ बनने वाली फाइजर वेक्सीन की प्रोडकशन भी रुक जाती।
इस सब को आप समय चक्र के हिसाब से समझें:
चीन भारत से ढाई घण्टे आगे है
भारत यूरोप से 6 घंटे आगे है और
यूरोप अमेरिका से 6 घण्टे आगे है।
जो खबर चीन के अखबारों में सुबह 11 बजे आई उसपर प्रतिक्रिया भारत में दो चार घंटे बाद 11 बजे होनी शुरू हुई और जो खबर भारत में कोवौक्सीन और कोविशील्ड को लेकर सुबह ग्यारह बजे से शुरू हुई उसकी प्रतिक्रिइया 6 घण्टे बाद यूरोपीय संघ के सुबह 11 बजे शुरू हो गयी और इसी तरह 6 घँटों तक चली इस EU की चर्चा सुबह के 10- 11 बजे तक अमेरिका में भारतीय लॉबी तक पहुंच गई। भारत में रात के 11 बजते बजते अमेरिका में 12 बज चुके थे और अमेरिकी राष्ट्रपति के तो 12 बज चुके थे और परिणाम आप सबके सामने भारत के पक्ष में आ गया।
कैसे आपदा का प्रबंधन किया जाता है यह मूलमंत्र ही मोदी की ताकत है।
जय माँ भारती।
संवाददाता
निहारिका
गुजरात