रणनीति रण के अनुसार तय की जाती है। यह बात कैसे समझाया जाय?
संघ के एक बड़े नेता हैं रामलाल जी।
उनकी वाल महाभारत और गीता के श्लोकों से भरी पड़ी है।
बहुत विनम्र भाव से बोलना चाहता हूँ कि ये लोग उस मंच से नीचे उतरना ही नहीं चाहते जो 5000 साल पहले बना था।
महाभारत और रामायण उस युग की रचना है जब मतान्ध और bigot रिलीजन, मजहब और वामपंथ अस्तित्व में नहीं थे। हिन्दू ग्रंथो में किसी मानव समूह के समूल विनाश करने की किसी रणनीति का वर्णन नहीं है।और वह भी मात्र इसलिए, क्योंकि वह किसी पृथक भगवान की पूजा करता है। इसलिये उनका कत्ल करके उनकी जर जोरु जमीन पर कब्जा कर लो।
इसलिए उन ग्रंथों में इनसे निबटने की रणनीति भी नहीं लिखी गयी। वेद व्यास को सपना तो नहीं आया होगा कि कल कोई मूसा – ईशा और मोहम्मद और उसके जघन्य अपराधी माइंड सेट के अनुयायी होंगे।
आज की परिस्थितियां बिल्कुल अलग हैं।
आज उनका वर्चस्व है जो कई शताब्दियों से उनका नरसंहार करते आये हैं जो पृथक भगवान को मानते हैं या आपसे समहत नहीं होते।
और उनका नरसंहार करके उनकी जर जोरू और जमीन पर कब्जा करते हैं। 55 कसाई, 123 ईसाई, और 10-20 वामपंथी देशों पर उन्होंने इसी रणनीति से कब्जा किया हुवा है।
ईसाई केसाई और वामपंथी।
यही तीन गिरोह हैं।
इनकी रणनीति को पढ़ो, समझो और फिर बोलो।
महाभारत के स्थान पर – Clash of civilization, Breaking India, Truths, A God who hates और Neom Chomskey को पढिये।
समय के साथ मार्ग दर्शक पुस्तिका भी बदलनी चाहिए।लेकिन यह बात आपको समझ में कैसे आएगी।
ब्यूरो चीफ
दिनेश सिंह
आजमगढ़