लव जेहाद कभी भी किसी राजनैतिक शक्ति से नहीं रोका जा सकता है। हिंदूवादी सरकारें आपको बैक सपोर्ट दे सकती हैं लेकिन युद्ध समाज और धर्म के नेताओं को ही लड़ना पड़ेगा।
अरबी नामधारी पशुओं का आर्थिक बहिष्कार करो। जो हिंदू परिवार इस आर्थिक बहिष्कार को न माने उसका हुक्का पानी और बोलचाल बंद कर उनसे भी गद्दार की तरह व्यवहार करो।
और हाँ जो लोग हर बात में भाजपा और संघ को कोसते हैं वे यह याद रखें कि ये संगठन भी आपकी ही मानसिकता के हिंदुओं से ही बने हैं इसलिये अपनी ढाल को फैंकने की बजाय दूसरे हाथ में शस्त्र ग्रहण करो।
घर में अम्मा से लड़ाई हो जाती है तो पड़ोस की अम्मी के पैर नहीं छुए जाते।
कुटिल नीतीश या नालायक सुशील मोदी या बुड्ढा खट्टर आपकी अपेक्षा पर खरे नहीं उतरे तो इसका मतलब ये नहीं कि लालूपूतों, शहाबुद्दीनों की सरकार बनवाई जाए।
ये सामाजिक-धार्मिक युद्ध है। इसे हम आप ही बेहतर लड़ सकते हैं।
अपनी बच्चियों से खुलकर पूछो कि उनकी दोस्ती किसी मुस्लिम लड़की से तो नहीं क्योंकि शुरूआत यहीं से होती है।
अपनी बच्ची से खुलकर पूछो कोई रास्ते में उन्हें परेशान तो नहीं करता?
अपनी बच्ची के मोबाइल को जब तब अचानक चैक करो।
पर सबसे प्रभावी शस्त्र है इन अरबी नामधारी पशुओं का #आर्थिकऔरसामाजिक_बहिष्कार।
जहाँ आपके पास कोई विकल्प न हो तो बात अलग है वरना शेष सभी संभव क्षेत्रों में इनका बहिष्कार करो।
धर्मगुरुओं से सवाल करो कि वे लवजेहाद और मुस्लिम अतिवाद के विरुद्ध क्यों नहीं बोलते?
ऐसे कायर धर्मगुरुओं का भी बहिष्कार करो।
राजनीति और वोट को परे रखकर —