:-: विकास की परिभाषा :-:
सबसे पहले किसी पिछड़े क्षेत्र का दौरा किया जाता हैं, उसके बाद उस क्षेत्र के प्रति ऐसा माहौल बनाया जाता हैं कि उस क्षेत्र में ज़मीनों के दाम गिर जाते हैं और वहां रहने वाले ग्रामीण कम मूल्य में ज़मीन बेचने को विवश हो जाते हैं।फिर पहले से यह षड्यंत्र कर रहें बड़े बड़े पैसे वाले लोग,इन ज़मीनों को कम मूल्य में खरीद लेते हैं और फ़िर उन ग्रामीणों को उनके ही घर,जंगल,ज़मीन से अलग कर देते हैं और उन्हें शहरों में झुग्गियां बनाकर अमानवीय जीवन जीने पर मजबूर कर देते हैं।उन ग्रामीणों को भावना के जाल में उलझाकर ,उनके माध्यम से सरकारी ज़मीनो पर कब्ज़ा करके और बाद में उन्हें अच्छा और सुखी जीवन देने के सपने दिखाकर,वहां से झुग्गियों को विस्थापित करके बड़ी बड़ी बहुमंजिला इमारतें बनाकर,उन्हें ब्याज के लालच में फसाकर,वहीं घर उन्हें बेच दिया जाता हैं।इस पूरें कार्यक्रम में सारे प्रसाशनिक और राजनीतिक तंत्र की मिलीभगत होती हैं और इन सभी का काला धन,ग्रामीणों की कम मूल्य में ज़मीन खरीदने में लगा होता हैं, जिससे यह कम मूल्य में खरीदकर,उसे अधिक में बेचकर ,काले धन को सफ़ेद धन में बदल देते हैं।जिसने इस तरह के कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हो,उस नेता के नाम पर उस क्षेत्र का रखकर,उसे लोगों की अस्मिता व सम्मान से जोड़कर,सत्ता को बनाये रखा जाता हैं।इस बात को सारा सरकारी तंत्र अच्छे से जानता व समझता हैं।अगर कोई न्यायालय भी गया,तो वहाँ भी मिलीभगत होने के कारण,केवल चप्पल घिसने के अलावा कुछ नहीं होता और किसी ने संवैधानिक प्रक्रिया के विरुद्ध आवाज़ उठाई तो उस पर देशद्रोह,एट्रोसिटी एक्ट जैसे कानूनों के तहत कार्यवाही करके,उसका जीवन नष्ट कर दिया जाता हैं।अधर्म,अपराध को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई इस व्यवस्था को संक्षेप में विकास कहते हैं।विजय सत्य की ही होगी।
धन्यवाद :- बदला नहीं बदलाव चाहिए
