विचारणीय:
अगर कोई मुस्लिम लड़का एक मशहूर सेलिब्रिटी बनता है तो उसकी पहलीख्वाहिश यही होती है कि वो एक हिन्दूलड़की से ही शादी करे क्रिकेटर ज़हीर खान, मोहम्मद कैफ, मोहम्मद अजहरुद्दीन, युसूफ पठान, मंसूर अली खान पटौदी, फिल्म अभिनेता शाहरुख खान, आमिर खान, सैफ अली खान
राजनीतिज्ञ शाहनवाज़ खां और मुख्तार अब्बास नकवी, सिकन्दर बख़्त और दुनिया भर के न जाने कितने मुस्लिम लोग जो मशहूर सेलिब्रिटी रहे और हिन्दू लड़कियों के पति बने अभी विगत 2 वर्ष पूर्व टीवी सीरियल में काम करने वाले एक मुस्लिम अभिनेता ने ससुराल सिमर का सीरियल में काम करने वाली टीवी अभिनेत्री दीपिका कक्कड़ से शादी की उन तमाम लोगों को यहां लिखा भी नहीं जा सकता लिस्ट इतनी लम्बी है लिखना असम्भव हैं
ध्यानदीजियेदोषीकौनइसका
इन मशहूर सेलिब्रिटी की शादी को लव जिहाद की संज्ञा नहीं दी जा सकती क्योंकि इन्होंने अपने मुस्लिम होने की पहचान को छुपाया नहीं लड़की और उसके घर वालों को मालूम था कि वो एक मुस्लिम दामाद ला रहे हैं।
ये सच है कि जब ये पैसा, शोहरत और दौलत से लबरेज़ हुए तभी इन्हें हिन्दू लड़की बगैर अपनी पहचान छुपाए आसानी से हासिल हो गयी पर ये भी सच है कि अगर मुस्लिम लड़के सेलिब्रिटी न बन पाते तो लव जिहाद का रास्ता अखितयार करते
अपनी पहचान छुपाकर हिन्दू नाम के साथ, कलावा बांधे हुए, चंदन लगाकर लड़की से मिलते,उसे अपवित्र कर शादी के लिए मजबूर करते।
हमारीमूर्खता लव जिहाद को तो हम तुरन्त इस्लामीकरण से जोड़ लेते हैं पर रज़ामन्दी से की गयी शादी में हमे इस्लामीकरण नहीं दिखता ? प्रश्नउठताहै आखिर मुस्लिमों को हिन्दू लड़की ही क्यों पसंद है ? जबकि मुस्लिम और ईसाई लड़कियां भी बेहद खूबसूरत होती हैं अकबर से लेकर अनेकों मुस्लिम शासकों की बेगमें हिन्दू थी अकबरनेजोधाबाई को पटरानी बनाया तो अनेकों हिन्दू औरतों को हरम की दासी बनाया, यानी उसे हर रूप में हिन्दू औरते ही पसंद थी उससेभीबड़ाप्रश्नउठताहैमनमे
चलो वो तो अपना काम कर रहे है इन तमाम हिन्दू लड़कियों को मुस्लिम लड़के ही क्यों पसन्द आते है बॉलीवुड खेल जगत राजनीति से लगाये हर विभाग में देख लीजिए मुस्लिम लड़किया कुछ गिनती की दो चार होंगी जो हिन्दू लड़को से विवाह की होगी इसके विपरीत हिन्दू लड़कियों का अंबार लगा हुआ है
कहनेकाअर्थ_है
रज़ामन्दी से की गयी शादी भी इस्लामीकरण है और लव जिहाद से की गयी शादी भी इस्लाम की सेवा है
पर रज़ामन्दी से की गयी शादी में हिन्दू संगठनों को बाद में बखेड़ा खड़ा करने का कोई अवसर नहीं मिलता।
मानसिकविचारधारा वास्तव में मुस्लिम नौजवान एक ऐसी मानसिकता के शिकार हैं कि अगर उन्हें किसी तरह एक हिन्दू लड़की हासिल हो जाये तो उनके जन्नत का रास्ता साफ है ये सोच एक मानसिक विकृति में बदल चुकी है जैसा कि मैंने ऊपर लिखा कि मुस्लिम और ईसाई औरते भी बहुत खूबसूरत होती हैं पर उस खूबसूरती को वो तरजीह न देकर हिन्दू लड़की को ज्यादा तरजीह देते हैं इससे उन्हें एक आत्मिक ख़ुशी भी मिलती है कि वो हिन्दू धर्म को नष्ट कर रहे हैं और अल्लाह के बताये रास्ते में अपना योगदान दे रहे हैं दूसरीबात खुद मुस्लिम युवकों को इस बात का यकीन नहीं रहता कि खालाजान की लड़की कहीं मामू जान के लड़के से सम्बंध मे तो नहीं है, ये अविश्वास ही उन्हें हिन्दू लड़की लाने के लिए प्रेरित करता है।
चिंतनकरियेगाअब
चाहे एक आम मुस्लिम हो या कोई सेलिब्रिटी या राजनेता दोष उनमे एक पैसे का नही है सारा का सारा दोष हिन्दू समाज की लड़कियों एव उनके परिवार का है बस हम सही बात को पकड़ते नही है ।
मित्रों अपने बच्चों को अपनी सनातनी संस्कृति से अधिक से अधिक परिचित करवाये उनको संस्कारिक बनाये । कभी भी अपने धर्म का उपहास ना करें । एक संस्कारिक समाज बनाने के लिए संस्कार युक्त समाज बनाना ही होगा ।
जय सनातन