वृक्षारोपण :-:
सनातन परंपरा के अनुसार किसी भी व्यक्ति को अपने जीवनकाल में अपना प्राकृतिक ऋण उतारने के लिये कम से कम तीन वृक्षों को लगाना अनिवार्य हैं।यह नियम इसलिये बनाया गया क्योंकि एक व्यक्ति को एक दिन में जितने ऑक्सीजन की आवश्यकता होती हैं, वह उसे तीन पेड़ो से ही प्राप्त हो सकती हैं।वृक्षारोपण का मतलब केवल पौधा लगाना ही नहीं, उसे पाल पोसकर बड़ा करके,उसकी संपूर्ण सुरक्षा करना होता हैं।वर्तमान में जो व्यक्ति वृक्षारोपण के नाम पर ,मात्र पौधा लगाकर उसे छोड़ देते हैं वह अनजाने ही सही वृक्ष हत्या के पापी बनकर,अपने प्राकृतिक ऋण को बढ़ा लेते हैं, इसलिये ऐसे लोगों की मृत्यु प्राकृतिक आपदा द्वारा या ऑक्सीजन की कमी से ही होती हैं।अगर आप वृक्ष का पालन पोषण करने में असमर्थ हैं, तो कृपया पौधारोपण न करें।किसी भी प्रकार के अप्राकृतिक पदार्थों जैसे पेस्टीसाइड आदि का उपयोग करके ,यदि वृक्ष का पालन पोषण किया जाता हैं,तो आपको उस वृक्ष से वैसी शुद्ध ऑक्सीजन ,फल और अन्य पदार्थ नहीं मिलेंगे,जैसे प्राकृतिक तरीके से पोषित वृक्ष से मिलते हैं।
वृक्ष हत्या करने और आपके पुण्य कम होने पर,आपको कई जन्मों तक वृक्षो की निम्न योनियों यानि झाड़ फूस के रूप में कई जन्मों तक जन्म लेना पड़ सकता हैं।अतः वृक्षारोपण करें, वृक्ष हत्या नहीं।
धन्यवाद :- बदला नहीं बदलाव चाहिए
