:-: व्यवस्था :-:
मनुवादी सनातनी और वर्तमान व्यवस्था में अंतर निम्न हैं :-
- आम जनता को यह अधिकार था कि उनके निर्वाचित प्रतिनिधि ,अपने कर्त्तव्य निर्वहन में असफल हो ,तो उन्हें वापिस बुला(right to recall) लिया जाता था,जो आज नहीं हैं।
- व्यभिचार ,भ्रष्टाचार,सार्वजनिक हित के विरुद्ध काम करने पर,सात पीढ़ियों के चुनाव लड़ने पर रोक होती थी और आज ऐसा करने वालों की ही टिकट पक्की हैं।
- ग़लत काम करने पर भारी दंडशुल्क लगाया जाता था और आज नियम कानून के नाम पर जनता को भ्रमित किया जाता हैं।
- चुनाव लड़ने की आयु 35 से 70 के मध्य और वह व्यक्ति शिक्षित व वेद-पुराण का ज्ञाता यानि सात्विक व्यक्ति होना चाहिए था और आज अपराधी व तामसिक स्वभाव का होना ही नेता की प्राथमिक पहचान हैं।
यह सारी बातें तमिलनाडु के मंदिर में शिलालेखों पर उल्लेखित हैं औऱ यागवलक्य व मनुस्मृति जैसी कई ग्रंथों में सनातनी प्रशासनिक व्यवस्था के नियम दिए हुए हैं, उन्हीं से चोरी करके वर्तमान व्यवस्था बनाई गई और सात्विक के स्थान पर तामसिक स्वभाव वाले लोगों को भी सभी अधिकार दिए गए,जिससे अधर्म व अपराध बढ़ गए।सनातनी व्यवस्था को पुनर्स्थापित करने का समय निकट हैं।विजय सत्य की ही होगी।
धन्यवाद :- बदला नहीं बदला चाहिए