:-: शराब नीति :-:
संवैधानिक व्यवस्था के नाम पर हमें किस तरह मूर्ख बनाया जा रहा हैं, इसका सबसे बड़ा प्रमाण शराब नीति हैं।आर्मी या पुलिस में भर्ती में नशामुक्त लोगों को प्राथमिकता मिलती हैं, और इनकी कैंटीन में शराब भी भारी छूट में मिलती हैं।इसका मतलब तो यह हुआ कि व्यसन मुक्त भर्ती हो जाओ और एक बार भर्ती होने पर,आपके लिए नशा करने की संवैधानिक व्यवस्था की जाएगी। सरकारी तरफ से काजू बादाम के ठेके नहीं दिए जाते,लेकिन शराब के ठेके ,अधिक लाभ के साथ दिए जाते हैं।संवैधानिक ग़लती को छुपाने के लिए शराब बंदी का वादा करना ,तो केवल दिखावा हैं। जब रक्षक ही शराबी हो,तो दूसरों को किस नैतिकता के आधार पर,शराब पीने से रोका जा सकता हैं ? जब भर्ती से पहले व्यसनमुक्त होने का कानून बन सकता हैं ,तो भर्ती होने के बाद के लिए,क्यों नहीं ?? जब आम आदमी के लिए शराब बंदी का कानून बनाया जा सकता हैं, तो ज़िम्मेदारो के लिए क्यों नहीं ?? विजय सत्य की ही होगीं।
धन्यवाद :- बदला नहीं बदलाव चाहिए