संकल्प तो लेना ही होगा
किसी को ‘अप्रैल फूल’ कहने से पहले, यह ध्यान कर लें कि पावन चैत्र महीने की शुरुआत, जिसमें नवरात्रि भी है, आप उसको मूर्खता दिवस कह रहे हैं !!
“अप्रैल फूल” का अर्थ भी पता है आपको? “अप्रैल फूल” का सीधा सा अर्थ है, भारतीय संस्कृति का मूर्खता दिवस!!…और ये नाम ईर्ष्यालु अंग्रेजों ने सनातन संस्कृति को बदनाम करने के उद्देश्य से दिया है।
बेहद दुःख का विषय है कि नासमझ भारतीय, पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण के चक्कर में अपनी सर्वश्रेष्ठ संस्कृति को अपमानित करके गर्व का अनुभव करते हैं।
“अप्रैल फूल” के पीछे की साजिश का सच समझना होगा। जब षड्यंत्र के तहत हम पर 1 जनवरी का नववर्ष थोपा गया तो उस समय अधिकांश भारतीय विक्रमी संवत के अनुसार 1 अप्रैल से अपना नया साल मनाते थे, जो आज भी भारतीयों द्वारा मनाया ही जाता है, पर होली, नवरात्रि या देश में अलग अलग त्यौहारों के नाम से। आज भी हमारे बही खाते और बैंक 31 मार्च को बंद होते है और 1 अप्रैल से शुरू होते है। पर उस समय जब भारत गुलाम था तो साज़िश कर्ताओं ने विक्रमी संवत का नाश करने के लिए साजिश करते हुए 1 अप्रैल को मूर्खता दिवस “अप्रैल फूल” का नाम दे दिया, ताकि हमारी सभ्यता मूर्खता लगे.. अब आप ही सोचो अप्रैल फूल कहने या मानने वाले कितने सही हैं, हम आप.?
याद रखें अप्रैल माह से नवरात्र, गणगौर पूजन, दुर्गाष्टमी, तारा जयंती, महावीर जयंती, हनुमान जयंती, पापमोचनी और कामदा एकादशी, वैसाखी, आर्यसमाज स्थापना दिवस आदि तमाम पर्व – उत्सव जुड़े हुए हैं। क्या ऐसे पवित्र माह अप्रैल को “फूल” यानी “मूर्ख माह” कहना उचित और तर्क संगत है?
सोच बदलिए और समझिए कि विदेशी हिंदुओं के विरुद्ध थे इसलिए भारतीयों के त्योहारों को मूर्खता कहते थे और हम आप हिन्दू भी जाने अंजाने में बिना सोचे समझे, बहुत शान से उसी में बह गये।
भारतीय सनातन कलेण्डर, जिसको एक समय पूरा विश्व फॉलो करता था उसको भुलाने और मजाक उड़ाने के लिए बनाया गया था “अप्रैल फूल”। 1582 में पोप ग्रेगोरी ने नया कलेण्डर अपनाने का फरमान जारी किया था, जिसमें 1 जनवरी को नया साल का प्रथम दिन बनाया गया। जिन लोगों ने इसको मानने से इंकार किया, उनके 1 अप्रैल को मजाक उड़ाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे 1 अप्रैल नया साल का नया दिन होने के बजाय मूर्ख दिवस बन गया।आज भारत के सभी लोग अपनी ही संस्कृति का मजाक उड़ाते हुए अप्रैल फूल ‘डे’ मना रहे
है।
अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है, जब जागो तभी सवेरा है। गुलाम मानसिकता का सुबूत मिटाने का संकल्प लें। जागो मेरे भारतीय भाई बहन जागो। अपने धर्म, अपनी विशाल संस्कृति को पहचानो। अनेकता में एकता की शक्ति को जानो।
इस जानकारी को इतना फैलाइये कि कोई भी इस आने वाली 1 अप्रैल से मूर्ख दिवस का राग ना अलापे, और विदेशियों द्वारा प्रसिद्ध किया गया ये भारतीयों का मजाक बंद हो।~~~