एक बार एक दलित कन्या ने एक भीमटे से पूछा कि जो संविधान संविधान चिल्लाते रहते हो यह क्या है?
भीमटा बोला अरे यह अम्बेडकर की रचना है जिससे हमें सरकारी भीख प्रमाण पत्र मिलता है और सिर्फ जाति के आधार पर हम करदाताओं की कमाई पर ऐश करते हैं।
दलित कन्या – अच्छा बाबा साहब के बारे में मुझे भी कुछ बताओ..
भीमटा – हाँ हाँ क्यों नहीं.. अम्बेडकर एक महान व्यक्ति थे बेचारे गरीब थे इसीलिए कोट टाई में रहते थे और उनके पिता रामजी सकपाल अंग्रेजी फौज में सूबेदार थे.. उन्होने मनुवादियों से टक्कर लेकर महानता हासिल की है।
दलित कन्या – जब पिता सकपाल थे तो यह आंबेडकर कैसे हुये और पिता अंग्रेजी फौज में सूबेदार थे तो गरीब कैसे थे?
भीमटा – तू चुप रह मनुवादियों की तरह बात मत कर ..
दलित कन्या – एक बात और संविधान का ज्यादातर हिस्सा तो अंग्रेजों के १९३५ के कानून से शब्दशः लिया गया है और बाकी का ८ देशों के संविधान को स्रोत बनाया गया है तो वो संविधान निर्माता कैसे?
भीमटा – बेवकूफ…. लिखा तो उन्होने ही था ना..
दलित कन्या – लेकिन संविधान सभा में ३८९ सदस्य थे तो बाकी लोगो ने क्या किया था?
भीमटा – तू जाहिल है जब किसी में लिखने की हिम्मत नहीं थी तब उन्होने यह काम किया बाकी लोग उनके बताये अनुसार काम करते थे… अब जीत का सेहरा तो सेनापति के सिर पर ही बंधता है ना.. समझी
दलित कन्या – लेकिन वो तो चुनाव बुरी तरह हार गये थे और एक मनुवादी जयप्रकाश की सिफारिश पर संविधान सभा में शामिल किया गये थे जहाँ वो केवल ७ सदस्यीय ड्राफ्टिंग कमेटी में अध्यक्ष थे जब कि डा राजेन्द्र प्रसाद जी पूरी संविधान सभा के अध्यक्ष थे तो फिर सेहरा उनके सिर बंधना चाहिए ?
भीमटा – तू ज्यादा होशियार मत बन और मनुवादियों की तरह बात मत कर
दलित कन्या – अच्छा नाराज मत हो यह बताओ कि अगर उन्हें मनुवादियों से इतनी नफरत थी तो उन्होने अपनी पत्नी और तीन जीजा मनुवादियों को क्यों बनाया?
भीमटा – तुझे कुछ नहीं पता है.. यह सब झूठ है.. मनुवादियों ने हमारे साथ मानसिक व शारीरिक शोषण किया जिससे बाबा साहब ने हमें मुक्ति दिलायी.. समझी
दलित कन्या – ओह.. फिर तो हम यह भी नहीं कह सकते कि जो हमारे पिता है वही वास्तविक है.. और अगर मनुवादियों के विरोध में थे तो क्षत्रिय राजा सयाजी राव गायकवाड़ ने उनकी पढ़ाई का खर्चा क्यो उठाया आखिर वो भी तो मनुवादी थे.. और जो पहला चुनाव लड़ा था वो भी एक मनुवादी की सहायता से लड़े थे तब तो खुद के समाज ने ही साथ नहीं दिया था और नकार दिया था..
भीमटा – तू आज जो इतना बोल रही है यह अम्बेडकर ने ही अधिकार दिया है महिलाओं की शिक्षा का… नहीं तो आज कहीं मनरेगा में मजदूरी कर रही होती..
दलित कन्या – अच्छा तो अगर उन्होने महिलाओं को पढ़ने का अधिकार दिया था तो जो संविधान सभा में १५ शिक्षित महिलायें थी तो वो क्या किसी दूसरे देश से आयी थी और उससे भी पहले गार्गी और विद्योत्तमा जैसी विदुषी महिलायें कैसे थी?
भीमटा – तुम फालतू के प्रश्न ज्यादा करती हो लगता है तुम्हें किसी मनुवादी ने भड़काया है..
दलित कन्या – अच्छा छोड़ो.. यह तो बता दो कि अम्बेडकर ने हिन्दू धर्म का त्याग क्यों किया था?
भीमटा – उन्हें उस समय एहसास हुआ कि सिर्फ बौद्ध ही एक ऐसा समाज है जहाँ जातिवाद नहीं है इसलिए उन्होनें हिन्दू धर्म को त्यागकर बौद्ध बन गये थे..
दलित कन्या – ओह ऐसा…. जब वो इतने बड़े विद्वान थे तो उन्हें अपनी मृत्यु के चार साल पहले समझ में आया कि बौद्ध बनना चाहिये जब कि पूरी उम्र हिन्दू बनकर रहे और जब कि संविधान में बौद्ध को भी जैन, सिख की तरह हिन्दू धर्म का हिस्सा बताया गया है ..
भीमटा – चल हट तू मारचो है.. रंND है.. तू मनुवादियों के जाल में फस गयी है इसलिए अम्बेडकर के बारे में ऊल जलूल बकने में लगी है .. चल निकल यहाँ से..
दलित कन्या – मैं पढ़ी लिखी हूँ तेरी तरह जाहिल नहीं जो फेसबुकिया और व्हाट्स अप ज्ञान पेलकर अपने माँ बाप की परवरिश को बदनाम करके अपने पूर्वजों को गालियां देते हो.. मैं अपने माँ बाप की संतान हूँ तेरी तरह ५००० साल के शोषण की मिक्स ब्रीड नहीं जो मनोहर कहानियाँ सुनाकर ही अपनी कुंठा का निवारण तलाशते हो और एक बात बौद्ध लोगों में भी समाज को चार वर्गो में बांटा हुआ है जिसमें उच्च पद पर केवल ब्राह्मण या क्षत्रिय ही पहुंच सकता है और स्त्री कभी भी तीसरे पायदान से ऊपर नहीं उठ सकती.. साथ ही महायान, वज्रयान और बोधयान जैसी जातियाँ अन्य रूप में उसमें भी है .. ब्राह्मणों को संविधान का फर्जी ज्ञान देते हो और बुद्ध विहार में भंतो के पैरों पर लोट लगाते हो वहाँ संविधान का ज्ञान क्या पिछवाड़े में घुस जाता है? मनुवादियों से नफरत करते हो लेकिन जो मुस्लिम तुम्हारी बहू बेटियों को छेड़ते है खीचते है जलील करते हैं तब संविधान का पाठ पढ़ाना भूल जाते हो..
विभा