सबसेबड़ासवाल….
संघ के नेतृत्व में फ्रांस का विरोध क्यों?राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का दोहरा चरित्र क्यों??
हिन्दू राष्ट्र की बात करने वाला इंद्रेश कुमार मौलानाओं का मुरीद क्यों???
क्यों RSS द्वारा दिल्ली में आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन के दूसरे दिन मंगलवार को भागवत ने स्पष्ट कहा कि इस देश में अगर मुसलमान नहीं रहेंगे, तो ये हिंदुत्व नहीं होगा??
RSS जवाब दे ……भारत में मुसलमान सुरक्षित है…पर क्या मुसलमानों से भारत सुरक्षित है ????
आरएसएस क्या गोलवलकर के दौर से बाहर निकलकर 21वीं सदी के मोहन भागवत के आधुनिक एजेंडे को अपनाने जा रही है ??????
या फिर अपने मुस्लिमो में अपने आधार को बढ़ाने की कोशिश में है???? मेरा मन खिन्न है जबसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुस्लिम विंग ने हैदराबाद में फ्रांस का प्रबल विरोध किया है।
मैंने टीवी डिबेट में भी कहा और आज भी कह रही हूँ कि संघ के चक्कर मे ही नूह से लेकर मेवात तक कि भूमि हिन्दू विहीन हो चुकी है।बच्चा बच्चा जानता है कि भारत का एक भी मुसलमान भाजपा को वोट नहीं करता,,,मोदी और शाह की रोज शव यात्राएं इन मोमिनों द्वारा निकाली जाती है और आप तुम जोड़ने की बात करते हो ।
संघ वालों तुम्हारे इस व्यवहार से समस्त हिन्दू जनमानस आहत है ।ये तो वही बात हुई “आधी छोड़ पूरी को धावे।आधी मिले न पूरी पावे।। मुसलमान तो भाजपा और संघ परिवार में आने से रहे,,,कहीं ऐसा न हो कि तुम्हारी मूल पूंजी ही न खिसक जाय।
मुझे फोन करते हो कि आपको मुसलमानों से ज्यादा दिक्कत क्यों है ?????
तो कान खोल कर सुन लो संघियों…. मैं उन सभी व्यक्तियों का विरोधी हूं जो मेरे धर्म और मेरे देश के खिलाफ बोलते हैं चाहे वह हिंदू हो ,चाहे मुसलमान ,चाहे क्रिश्चियन ,चाहे बौद्ध,चाहे सिख चाहे जैनी ही क्यों न हो।कोई मुसलमान अगर मेरे देश के दुश्मन बाबर ,तुगलक, मोहम्मद गौरी, गजनी, तैमूर लंगड़ा जैसे जितने भी देश के ऊपर आक्रमण करने वाले मुसलमान हैं ,जिन्होंने मेरे देश के ऊपर अत्याचार किया, देश में लाखों हिंदुओं का कत्ल किया,असंख्य बलात्कार किये….. अगर वह उनको अपना आदर्श मान लेंगे तो फिर ऐसे मुसलमानों का सम्मान तो केवल दोगले हिन्दू ही कर सकते हैं।मैं केवल और केवल उनका सम्मान करता हूँ जो मेरे देश और धर्म का सम्मान करते हैं,और शंकराचार्य परिषद की स्थापना भी इसी उद्देश्य से की गई है।
संघ परिवार को भी सेकुलर होने का जो भूत सवार है वो हिंदुत्व के लिए बहुत ही घातक होने वाला है।बहुत से लोग अपने आप को धर्म निरपेक्ष यानी सेकुलर कहते हैं लेकिन होते हैं दोहरे चरित्र के।सेकुलर और धर्मनिरपेक्ष शब्द का जो अर्थ है सही मायने में उसका कोई पालन ही नहीं करता सेक्युलर और धर्मनिरपेक्षता का पालन तो हम लोग करते हैं।धर्मनिरपेक्ष व सेकुलर का मतलब होता है गलत का विरोध करो सही का समर्थन करो लेकिन धर्मनिरपेक्षता और सेकुलरिज्म की आड़ में छुपे हुए जो दोगले हैं वह सिर्फ सनातन धर्म के साथ गद्दारी करते हैं ।सनातन धर्म के साथ कुछ भी हो उस पर कुछ नहीं बोलेंगे लेकिन अगर दूसरे किसी धर्म के ऊपर आवाज उठा दो तो आग लगा देते हैं।
मुझे नफरत है इन दोहरे चरित्र वालों से,,,क्योंकि मेरे जीवन का एकमात्र उद्देश्य है हिंदुत्व का उत्थान व इस्लाम का समापन।मेरी लड़ाई मुसलमान से आगे बढ़कर इस्लाम से है।वार जड़ पे करना है ,,शाखाएं और पत्तियां तो स्वतः ध्वस्त हो जाएंगी।तो आइए संकल्प लें कि हर उस दोहरे चरित्र वालों का प्रचण्ड विरोध करेंगे जिनके कथनी व करनी में भेद है चाहे वो संघ परिवार ही क्यों न हों।