सुखी जीवन जीने का सिर्फ एक ही रास्ता है वह है अभाव की तरफ दृष्टि ना डालना। आज हमारी स्थिति यह है जो हमे प्राप्त है उसका आनंद तो लेते नहीं, वरन जो प्राप्त नहीं है उसका चिन्तन करके जीवन को शोकमय कर लेते हैं।
*दुःख का मूल कारण हमारी आवश्कताएं नहीं हमारी इच्छाएं हैं। हमारी आवश्यकताएं तो कभी पूर्ण भी हो सकती हैं मगर इच्छाएं नहीं। इच्छाएं कभी पूरी नहीं हो सकतीं और ना ही किसी की हुईं आज तक। एक इच्छा पूरी होती है तभी दूसरी खड़ी हो जाती है।*
*दुःख का मूल हमारी आशा ही हैं। हमे संसार में कोई दुखी नहीं कर सकता, हमारी अपेक्षाएं ही हमे रुलाती हैं। यह भी सत्य है कि बिना इच्छायें ना होंगी तो कर्म कैसे होंगे ? इच्छा रहित जीवन में नैराश्य आ जाता है। लेकिन अति इच्छा रखने वाले और असंतोषी हमेशा दुखी ही रहते हैं।*
!!!…रिश्तों को शब्दों का ,
मोहताज ना बनाइये ..
अगर अपना कोई खामोश है तो..
ख़ुद ही आवाज़ लगाइये ..!!!
🙏 🙏