वे राजनीतिज्ञ,कूटनीतिज्ञ,और हमारे मिडिया के साथी जो की भारतवर्ष में रह के हिन्दुओ को गलत साबित करने में लगे रहते है , वे इस्लाम के इन कारनामो के विषय में क्या कहेंगे जो की इतिहास में दर्ज है और भारतवर्ष के राजनीतिज्ञ,कूटनीतिज्ञ,और हमारे मिडिया के साथी इन सभी पे आँखे मूँद के चुप्पी साधे हिन्दूओ की भावनाओं से खेल रहे है ।
क्या इस्लाम के खिलाफ इन सभी को कुछ कहने से फटती है ???
सन् 1648 ई. में जब वह शहजादा था, गुजरात में सीताराम जौहरी द्वारा बनवाया गया चिन्तामणि मंदिर उसने तुड़वाया। उसके स्थान पर ‘कुव्वतुल इस्लाम’ मस्जिद बनवाई गई और वहाँ एक गाय कुर्बान की गई।
सन् 1648 ई. में मीर जुमला को कूच बिहार भेजा गया। उसने वहाँ के तमाम मंदिरों को तोड़कर उनके स्थान पर मस्जिदें बना दी।
सन् 1666 ई. में कृष्ण जन्मभूमि मंदिर मथुरा में दारा द्वारा लगाई गई पत्थर की जाली हटाने का आदेश दिया-‘इस्लाम में मंदिर को देखना भी पाप है और इस दारा ने मंदिर में जाली लगवाई?’
सन् 1669 ई. में ठट्टा, मुल्तान और बनारस में पाठशालाएँ और मंदिर तोड़ने के आदेश दिये। काशी में विद्गवनाथ का मंदिर तोड़ा गया और उसके स्थान पर मस्जिद का निर्माण किया गया।
सन् 1670 ई. में कृष्णजन्मभूमि मंदिर, मथुरा, तोड़ा गया। उस पर मस्जिद बनाई गई। मूर्तियाँ जहाँनारा मस्जिद, आगरा, की सीढ़ियों पर बिछा दी गई।
सोरों में रामचंद्र जी का मंदिर, गोंडा में देवी पाटन का मंदिर, उज्जैन के समस्त मंदिर, मेदनीपुर बंगाल के समस्त मंदिर, तोड़े गये।
सन् 1672 ई. में हजारों सतनामी कत्ल कर दिये गये। गुरु तेग बहादुर का काद्गमीर के ब्राहम्णों के बलात् धर्म परिवर्तन का विरोध करने के कारण वध करवाया गया।
सन् 1669 ई. में हिन्दुओं पर जिजिया कर फिर लगा दिया गया जो अकबर ने माफ़ कर दिया था। दिल्ली में जिजिया के विरोध में प्रार्थना करने वालों को हाथी से कुचलवाया गया। खंडेला में मंदिर तुड़वाये गये।
जोधपुर से मंदिरों की टूटी मूर्तियों से भरी कई गाड़ियाँ दिल्ली लाई गईं और उनको मस्जिदों की सीढ़ियों पर बिछाने के आदेश दिये गये।
सन् 1680 ई. में ‘उदयपुर के मंदिरों को नष्ट किया गया। 172 मंदिरों को तोड़ने की सूचना दरबार में आई। 62 मंदिर चित्तौड़ में तोड़े गये। 66 मंदिर अम्बेर में तोड़े गये। सोमेद्गवर का मंदिर मेवाड़ में तोड़ा गया। सतारा में खांडेराव का मंदिर तुड़वायागया।
सन् 1690 ई. में एलौरा, त्रयम्वकेद्गवर, नरसिंहपुर एवं पंढारपुर के मंदिर तुड़वाये गये।
सन् 1698 ई. में बीजापुर के मंदिर ध्वस्त किये गये। उन पर मस्जिदें बनाई गई।(112)