:-: हिंदी भाषा :-:
जिस हिंदी को सभी भारतीय बोलते,सुनते,समझते आ रहे हो,वो राष्ट्र भाषा नहीं हो सकती,तो अनौपचारिक रूप से अंग्रेजी को क्यों पिछले 70 वर्षों में राष्ट्रीय भाषा का दर्जा दिया हुआ हैं ?? अंग्रेजी और अंग्रेजों ने हमें ग़ुलाम बनाया,उसके बाद भी जितना विरोध और घृणा हिंदी के प्रति हैं ,उतना अंग्रेजी के प्रति क्यों नहीं हैं ?? भारत में हज़ारो भाषाएं ,लाखों वर्षो से साथ में रहती आ रहीं हैं और संस्कृत के बाद हिंदी ने, सभी भारतीयों को आपस में जोड़े रखा औऱ संवाद की भाषा बनी। 1950 में भारत को पहली बार,धर्म ,जाति ,भाषा,भौगोलिक परिस्थिति के आधार पर बांटा गया,जिसके कारण आज हम पूर्व पश्चिम उत्तर दक्षिण में बंटकर , आपस में ही एक दूसरें का तिरस्कार कर,घृणा के बीज बो रहे हैं। 1950 में समानता का अधिकार मिलता तो आज समान नागरिक सहिंता की आवश्यकता नहीं पड़ती ?? वर्तमान में हिंदी ही एकमात्र ऐसी भाषा हैं, जो हमें पुनः एक कर सकती हैं,1950 से पहले,रियासतें अवश्य अलग अलग थी,लेकिन सबके ह्रदय एक थे।आप स्वयं तय करें कि आपको असमानता वाला लोकतंत्र चाहिए या फिर समानतावादी,राजतंत्र !!!! विजय सत्य की ही होगी।
धन्यवाद :- बदला नहीं बदलाव चाहिए